नागपुर के वीएनआईटी कॉलेज में जहरीला खाना खाकर 200 छात्र बीमार

नागुपर। नागपुर के विश्वेश्वरय्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्था जिसका बेहद बड़ा नाम है लेकिन वहीं पर रहकर शिक्षा लेते सैकड़ों छात्रों के जान पर आज बन आई है। हॉस्टल में रहने वाले छात्र जिनके खाने में पूरी तरह से प्रदूषित अनहाईजिन और कीड़ों से मिला हुआ खाना खिलाया गया जिसके चलते एक दो नहीं बल्कि करीब 200 छात्रों की तबीयत बुरी तरह बिगड़ गई। जिन्हें अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
वहीं दस छात्राएं आईसीयू में भर्ती कराई गई तो कई छात्रों तथा छात्राओं को खून की उल्टी होने के बाद भी बताई जा रही है। वहीं प्रबंधन अपनी ख्याति बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगा हुआ है।
एक निजी अस्पताल में भर्ती किए गए 14 छात्राएं तथा 4 छात्र जिन की तबीयत के बारे में बताते हुए अस्पताल के डाक्टर का बयान भी कुछ अटपटा सा जरूर लगता है ।डॉक्टर ने बताया भर्ती किए गए यह छात्र वायरल फीवर थ्रोट इनफेक्शन तथा पेट दर्द की बीमारी से ग्रस्त थे। डॉक्टर के बातचीत करने के ढ़ग से लग रहा था कि वह मुख्य बात को गोलमोल कर गए।
वहीं दूसरी ओर इस घटना से आहत हुए छात्रों तथा उनके मित्रों द्वारा दबी जुबान में यह सारा मामला बताया जा रहा है। छात्रों के संगठन ने एचआरडी मिनिस्टर को ट्वीट कर मदद की गुहार मांगी थी क्योंकि यहां पढ़ने वाले सभी बच्चों का भविष्य जिस पर नियंत्रण मुख्य रूप से कॉलेज प्रबंधन का है अतः छात्र खुलकर बोलने से डर रहे हैं।

इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अन्न व औषध विभाग द्वारा तुरंत कार्यवाही की गई खाने का सैंपल लैबोरेट्री भेज दिया गया है तथा आगे की जांच जारी है साथ ही साथ विभाग के निर्देशों द्वारा कॉलेज परिसर में खाना बनाने की मनाही कर दी गई है अब छात्र बाहर से बड़ी मुश्किल से अपना पेट भर पा रहे हैं।

इस पूरे मामले को छिपाने में कॉलेज प्रबंधन के साथ ही साथ अस्पताल प्रबंधन भी साथ दे रहा दिखाई देता है। विख्यात नाम होने के चलते ख्याति पर असर ना पड़े इसलिए कॉलेज प्रबंधन अपने ही छात्रों को डराने धमकाने मे लगा हुआ है और इसी के चलते छात्रों के अभिभावक भी सामने आने से डर रहे हैं।
कॉलेज के छात्रों द्वारा ही परोसे गए अन्य में कितनी अधिक मात्रा में प्रदूषण तथा कीड़े पाए गए हैं इसे हम साफ देख सकते हैं। बावजूद इसके प्रबंधन इस जानलेवा गंभीर गलती को वायरल इलनेस की संज्ञा देकर खुद को बचाने में जुटा हुआ है। छात्रों द्वारा संबंधित मंत्री को भेजा के ट्वीट तथा डॉक्टर और कॉलेज प्रबंधन द्वारा बताई जा रही बात इन दोनों में खासा फर्क साफ नजर आता है।

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