​कैसे चमकी बुखार ने मचाया इतना कहर, जानिए इस बुखार के बारे में सबकुछ

पटना। बिहार में इन दिनों एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम  यानी चमकी बुखार कहर बरपा रही है. पिछले एक हफ्ते में अब तक 108 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले दो दशक में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की वजह से देश में 5000 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. इस रोग में बच्चे का शरीर बुखार की वजह से तपने लगता है. जिसकी वजह से उसके शरीर में कंपन और झटके लगते रहते हैं. शरीर में बार-बार लगने वाले इन झटकों की वजह से इसे ‘चमकी’ बुलाया जाता है. 11 पॉइंट्स में समझें चमकी बुखार के बारे में:-

क्या है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES)?
इंसेफ्लाइटिस दिमाग से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. दरअसल, मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं, जिसकी वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं, लेकिन जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है, तो उस स्थिति को एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहा जाता है.

चमकी बुखार से शरीर पर क्या असर पड़ता है?
इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं. शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर ये खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा कर देते हैं. जिसकी वजह से शरीर का ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टम’ खराब हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है.

किससे फैलता है चमकी बुखार?
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) क्यूलेक्स मच्छरों की वजह से होता है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जैपेनीज इंसेफेलाइटिस का घातक रूप है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह से हर साल दुनिया के 24 देशों में 13600 से 20400 बच्चों की मौत होती है. WHO ने साल 2006 में AES शब्द को एक ऐसे रोग समूह के रूप में दर्शाया, जिसमें कई बीमारियों के लक्षण दिखते हैं. इन लक्षणों को समझना मुश्किल होता है, लिहाजा इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है.

क्या लीची खाने से भी होती है ये बीमारी?
कई हेल्थ एक्सपर्ट की राय के मुताबिक, बिहार में लीची से इस बीमारी के फैलने की आशंका है. मुजफ्फरपुर में लीची भारी मात्रा में पैदावार होती है. साल 2017 में द लेनसेट ग्लोबल हेल्थ मेडिकल जनरल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंस्लोपैथी यानी दिमागी बुखार के फैलने में लीची भी जिम्मेदार होती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी की चपेट में आए इलाकों में जिन बच्चों ने रात का खाना स्किप किया है और लीची ज्यादा खा ली है. उनके हाइपोग्लैसीमिया के शिकार होने का खतरा ज्यादा हो जाता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बच्चों की मौत के पीछे एक और वजह भी है. जिन बच्चों ने लीची खाने के बाद पानी कम पिया हो या काफी देर तक पानी पिया ही नहीं, उनके शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो गई, जिसके चलते वो दिमागी बुखार के शिकार हो गए.

क्या अमीर-गरीब में भेद करती है चमकी?
इंसेफेलाइटिस यानी चमकी बुखार को लेकर एक भ्रम ये भी है कि ये बीमारी सिर्फ गरीब बच्चों को हो रही है, अमीर बच्चों को नहीं. आंकड़ों की बात करें, तो इस बीमारी से जिन बच्चों की मौत हुई है, वो गरीब घरों से आते हैं. दरअसल, इस बीमारी के फैलने के पीछे अमीर-गरीबी का तर्क बेतुका है, बल्कि मुद्दा हाइजिन और स्वास्थ्य सुविधाओं का है. बिहार के जिन इलाकों में बच्चों की मौत हुई है, उनमें से अधिकतर गरीब महादलित समुदाय से आते हैं. इसमें मुसहर और दलित जातियां शामिल हैं. इन सब में एक कॉमन बात जो पाई गई वह ये कि ज्यादातर बच्चे कुपोषण का शिकार थे. प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ निगम प्रकाश भी कुपोषण को इस बीमारी के लिए एक बड़ा कारण मानते हैं.

क्या है चमकी बुखार के लक्षण?
चमकी बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है. इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है.
इसके बाद तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) काम करना बंद कर देता है.
इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है.
बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं.
उनके जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं.
बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है.
कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा. जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.
अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है, तो मौत तय है.

चपेट में सिर्फ बच्चे ही क्यों?
ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं. दरअसल, बच्चों में इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं. यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं. कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है. हालांकि, कई डॉक्टर इस थ्योरी से इनकार भी करते हैं.

गर्मी में ही क्यों होती है ये बीमारी?
गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है. इसलिए ये बीमारी भी इसी समय होती है.

चमकी के चपेट में हैं ये 20 राज्य
देश के 20 राज्यों के 178 जिलें चमकी बुखार की चपेट में हैं. ये राज्य है – आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, पंजाब, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल. हालांकि, इस बार मौतों की खबरें बिहार से ही आ रही हैं.

चमकी बुखार से कैसे बचें?
बच्चों को जूठे और सड़े हुए फल न खाने दें.
बच्चों को उन जगहों पर न जाने दें, जहां सूअर रहते हैं.
खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ जरूर धुलवाएं.
पीने का पानी साफ और स्वच्छ रखें.
बच्चों के नाखून न बढ़ने दें.
गंदगी भरे इलाकों में न जाएं.
बच्चों को सिर्फ हेल्दी खाना ही खिलाएं.
रात के खाने के बाद हल्का-फुल्का मीठा खिलाएं.
बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में लिक्विट देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

11##अगर चमकी बुखार हो जाए तो क्या करें?
>>बच्चों को पानी पिलाते रहे, इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी.
>>तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें. पंखे से हवा करें या माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगायें, ताकि बुखार कम हो सके.
>>बच्‍चे के शरीर से कपड़े हटा लें और उसकी गर्दन सीधी रखें.
>>बच्चों को पैरासिटामॉल की गोली और अन्‍य सीरप डॉक्‍टर की सलाह के बाद ही दें.
>> अगर बच्चे के मुंह से लार या झाग निकल रहा है, तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में दिक्‍कत न हो.
>>बच्‍चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें.
>>तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंख को पट्टी से ढंक दें.
>>बेहोशी या दौरे आने की हालत में मरीज को हवादार जगह पर लिटाएं.
>>चमकी बुखार की स्थिति में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाएं.

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