उदास चेहरों पर मुस्कान बिखेरने वाले प्रसिद्ध हास्य कवि प्रदीप चौबे नहीं रहे

नई दिल्ली। प्रसिद्ध हास्य कवि प्रदीप चौबे का निधन हो गया है। प्रदीप ने 70 साल की उम्र में दिल की बीमारी के चलते अंतिम सांस ली। प्रदीप लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनका जन्म 26 अगस्त 1949 को हुआ था।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में रहने वाले प्रदीप को दिल में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। जिसके बाद वह इस संसार को विदा कह गए। सभी को हंसा-हंसा के सच का अहसास कराने वाले एक कवि के यूं चले जाने से सभी स्तब्ध हैं। हाल में वे कपिल शर्मा के शो में दिखाई दिए थे।

26 अगस्त को 1949 को जन्में प्रदीप चौबे के बिना हर हास्य महफिल अधूरी थी। उनके करीबियों का कहना है कि वो जितना लोगों को हंसाते थे उनता ही अपने अंदर के गम को छुपाए रहते थे, उन्हें गाल ब्लैडर का कैंसर भी था। पिछले दिनों हुई छोटे बेटे के आकस्मिक निधन के बाद उन्हें गहरा सदमा लगा था।

खबरों के अनुसार दिल की बीमारी तो उनकी मौत का बहाना बनी हालांकि वह काफी समय से गाल ब्लैडर के कैंसर जूझ रहे थे। लेकिन कभी अपने किसी कवि सम्मेलन में उन्होंने अपनी इस तकलीफ का जिक्र नहीं किया। कुछ समय पहले हुई उनके छोटे बेटे के आकस्मिक मौत ने उन्हें काफी गहरा सदमा पहुंचाया था। प्रदीप अपनी कविताओं में कॉमेडी के साथ-साथ तीखे व्यंग्य के लिए पहचाने जाते थे। उनकी अधिकतर हास्य कविताओं में रूढ़िवादी मानसिकता पर गहरी चोट होती थी।

चौबे ने हमेशा देश, काल, वातावरण और समाज को ध्यान में रखकर अपना हास्य अंदाज सबके सामने रखा है। उनकी लिखी एक हास्य कविताएं यहां पढ़ें-

हर तरफ गोलमाल है साहब…

हर तरफ गोलमाल है साहब
आपका क्या ख्याल है साहब

लोग मरते रहें तो अच्छा है
अपनी लकड़ी की टाल है साहब

आपसे भी अधिक फले फूले
देश की क्या मजाल है साहब

मुल्क मरता नहीं तो क्या करता
आपकी देखभाल है साहब

रिश्वतें खाके जी रहे हैं लोग
रोटियों का अकाल है साहब

इसको डेंगू, उसे चिकनगुनिया
घर मेरा अस्पताल है साहब

तो समझिए कि पात-पात हूं मैं
वो अगर डाल-डाल हैं साहब

गाल चांटे से लाल था अपना
लोग समझे गुलाल है साहब

मौत आई तो जिंदगी ने कहा-
‘आपका ट्रंक कॉल है साहब’

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