सिशेल्स के राष्ट्रपति ने दिया भारत को झटका, नौसैनिक अड्डा बनाने की डील रद्द की

नई दिल्ली। एक तरफ जहां सेशल्ज के राष्ट्रपति डैनी फॉरे के 25 जून को प्रस्तावित भारत में यात्रा को लेकर तमाम तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ सेशल्ज ने भारत के साथ अपने असम्पशन आइलैंड पर नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते को खारिज कर सभी को चौंका दिया है। गौरतलब है कि इस महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा था कि जब वह भारत आएंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ असम्पशन आइलैंड प्रॉजेक्ट को लेकर कोई चर्चा नहीं करेंगे। आपको बता दें कि सेशल्ज का यह कदम एक तरह से भारत के कूटनीतिक प्रयासों के लिए असफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है।
मी़डिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी पिछले दिनों रूस के साथ मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट डिवेलप करने की भारत की 9 अरब डॉलर की डील टूटने की भी खबर आई। सेशल्ज द्वारा सैन्य अड्डे का समझौता तोड़ने की वजह से चीन को काउंटर करने के लिए लिए डिफेंस क्षेत्र में अपने फुट प्रिंट बढ़ाने में जुटे भारत की कवायद को भारी झटका लगा है। आपको बताते चलें कि सेशल्ज के राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की कि इस प्रॉजेक्ट के सभी उद्देश्य अब खत्म हो चुके हैं और सेशल्ज अगले साल अपने धन से इस सैन्य अड्डे का निर्माण करेगा।
इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा, कि अगले साल के बजट में हम असम्पशन आइलैंड पर कोस्ट गार्ड फसिलिटी के निर्माण के लिए खुद फंड अलग से रखेंगे। इस इलाके में हमारा सैन्य अड्डा होना जरूरी है।’ विदेश सचिव विजय गोखले, हाल ही में विक्टोरिया गए थे लेकिन इस डील को बनाए रखने में असफल रहे। भारत और सेशल्ज के बीच साल 2015 में यह समझौता हुआ था, जब पीएम मोदी इस देश के दौरे पर गए थे। हालांकि, इस डील पर पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर ने दोबारा चर्चा शुरू की थी और उन्हीं ने हस्ताक्षर भी किए थे। हालांकि, उनके दौरे के अंत तक ही यह माना जाने लगा था कि इस समझौते को बचाया नहीं जा सकता।सेशल्ज की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इस डील के टूटने के लिए विपक्ष के नेता भारतीय मूल के रामकलावन को जिम्मेदार ठहरा रही है, जिन्होंने भारत की यात्रा के बाद इस समझौते के लिए हामी भर दी थी लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गए। यह डील विपक्ष की मंजूरी के बिना पास नहीं हो सकती है।

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