कल है वरुथिनी एकादशी: भाग्योदय के लिए पानी में एक चुटकी डालें ये चीज और फिर नहाएं

मथुरा। गुरुवार, 12 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सालभर की सभी एकादशियों का महत्व युधिष्ठिर को बताया है। इस अध्याय के अनुसार एकादशी पर व्रत और उपाय करने से भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की भी कृपा मिल सकती है। साथ ही, कुंडली के दोषों को भी दूर किया जा सकता है। इस बार गुरुवार को एकादशी होने से ये दिन और भी शुभ हो गया है। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है। गुरु ग्रह को भाग्य और धर्म का कारक माना गया है। यहां जानिए उज्जैन के इंद्रेश्व महादेव मंदिर के पुजारी और ज्योतिर्विद पं. सुनील नागर के अनुसार एकादशी और गुरुवार के योग में भाग्यदोय के लिए क्या-क्या कर सकते हैं…

नहाने के पानी में डालें हल्दी

गुरुवार और एकादशी के योग में सुबह जल्दी उठें और पानी में एक चुटकी हल्दी डालें। इसके बाद ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए नहाएं। नहाने के बाद केसर से तिलक लगाएं और केले के वृक्ष को जल चढ़ाएं, पूजा करें। इसके बाद यहां बताएं जा रहे शेष उपाय करें।

ऐसे करें पूजा-पाठ

इस बार एकादशी और गुरुवार के योग में शिवलिंग की विशेष पूजा करें। पूजा करते समय गुरु ग्रह का भी ध्यान करें। शिवलिंग की पूजा से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।

अगर आप एकादशी का व्रत करते हैं तो इस दिन सिर्फ फलाहार करें। अगर पूरे दिन भूखे नहीं रह सकते हैं तो एक समय ही भोजन करें। पीले वस्त्र धारण करें। पीले फूल भगवान को चढ़ाएं और एक फूल अपने पास भी रखें। चने की दाल, पीले कपड़े और पीले चंदन से शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

पूजा के बाद एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए। इस प्रकार पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु, शिवजी और देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। धन और विद्या का लाभ मिलता है। भाग्य से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। गुरुवार को केले के वृक्ष की पूजा अवश्य करें।

ये उपाय भी कर सकते हैं

1.किसी जरुरतमंद व्यक्ति को धन का दान करें।

2.चने की दाल और केसर किसी मंदिर में दान दें।

3.किसी स्कूल में गरीब बच्चों को किताबों का और पेन का दान करें।

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