एक बेकसूर को 20 जेल की हुई थी सजा, मानव आयोग ने भेजा नोटिस, कहा—दोषी पुलिस वालों पर हो कार्रवाई

रेप के एक झूठे आरोप में 20 साल से जेल में बंद विष्णु तिवारी की अब रिहाई हुई है। इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह मुमकिन हुआ है। विष्णु आगरा सेंट्रल जेल में बंद था अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है। आगरा के सोशल और आरटीआई (RTI) एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस संबंध में आयोग को एक पत्र लिखा था। अब आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को एक नोटिस भेजा है। नोटिस में दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने समेत पीड़ित के पुर्नवास की ओर भी ध्यान दिलाया है।

आयोग ने यूपी को भेजे नोटिस में कहा है कि इस मामले में जिम्मेदार लोक सेवकों के खिलाफ की गई कार्रवाई और पीड़ित को राहत और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों को शामिल करना चाहिएी यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इन 20 साल के दौरान पीड़ित ने जो आघात, मानसिक पीड़ा और सामाजिक कलंक झेला है। 6 सप्ताह के अंदर इस नोटिस पर यूपी से प्रतिक्रिया मांगी गई है।

विष्णु का एक भाई महादेव उसे जेल में मिलने आता है लेकिन कोरोना के चलते उससे भी मुलाकात नहीं हो पा रही है। लेकिन महादेव के जेल आने पर विष्णु हमेशा ठिठक जाता है। क्योंकि चार अपनों की मौत की खबर भी महादेव ही लाया था। सबसे पहले 2013 में उसके पिता की मौत हो गई। एक साल बाद ही मां भी चल बसी। उसके बाद उसके दो बड़े भाई भी यह दुनिया छोड़कर चले गए। विष्णु पांच भाइयों में तीसरे नंबर का है।

आगरा के रहने वाले सोशल और आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को एक पत्र लिखा है। नरेश पारस का कहना है कि विष्णु के मामले में पुलिस ने लचर कार्रवाई की। सही तरीके से जांच नहीं की गई। जिसके चलते विष्णु को अपनी जवानी के 20 साल जेल में बिताने पड़े। जब विष्णु जेल में आया था तो उसकी उम्र 25 साल थी। आज वो 45 साल का होकर जेल से बाहर आया है। दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के साथ ही विष्णु को मुआवजा दिया जाए। मुआवजे की रकम पुलिसकर्मियों के वेतन से काटी जाए।

जेल में रहने के दौरान विष्णु मेस में दूसरे बंदियों के लिए खाना बनाता है. इतने साल में वो एक कुशल रसोइया बन चुका है। साथी बंदियों का कहना है कि काम का वक्त हो या खाली बैठा हो, विष्णु सिर्फ एक ही गाना गाता है, …जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-शाम। विष्णु का कहना है कि इसी गाने में ज़िदगी का फलसफा छिपा हुआ है। जेल से छूटने के बाद विष्णु का इरादा एक छोटा सा ढाबा चलाने का है। लेकिन अभी उसके पास इतनी पूंजी नहीं है। इसलिए पहले कहीं नौकरी कर पूंजी जमा करेगा।

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