कमाल: बंदूक ही नहीं संगीत में भी आईटीबीपी जवानों को हासिल है महारत

नई दिल्ली, वो सीमा पर सिर्फ बंदूक ही नहीं चलाते हैं। वो सिर्फ दुश्मनों से हमारी रक्षा ही नहीं करते हैं। उन्हें हिमवीर के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि संगीत में जो शक्ति है, शायद कहीं नहीं है। आईटीबीपी के जवान जहां मुश्किल हालात में काम करते हैं, वहीं उनसे जुड़ा हुआ एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसपर हर कोई फिदा है।
इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जवानों का एक वीडियो साझा किया है। इस वीडियो को देखकर आप आश्चर्य कर सकते हैं कि जिन हाथों में बंदूक होती है। जिन जवानों को सीमा की हिफाजत की जिम्मेदारी है, क्या वो संगीत के वाद्य यंत्रों पर अपने हाथों को क्या चला सकते हैं। शायद आप भरोसा न कर सकें। लेकिन ये सच है। आईटीबीपी के जवान म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ कैलाश खेर के गानों ‘अल्लाह के बंदे’, फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ का ‘रे कबीरा…’ गा रहे हैं। वाद्य यंत्रों पर जिस सधे अंदाज में उंगलियां चल रही हैं, या जवान जिस मस्त अंदाज में बेसुध होकर तान छेड़ रहा है वो काबिलेतारीफ है। ऐसा लग नहीं रहा कि वो कोई प्रोफेशनल सिंगर नहीं हैं। आईटीबीपी के जवान तिब्बत इलाके में भारत और चीन की सीमा पर ‘फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस’ के तौर पर काम करते हैं। इसके अलावा दुर्गम इलाकों में आपदा प्रबंधन और आधारभूत ढांचा तैयार करने में इन्हें विशेषज्ञता हासिल है। कई मौकों पर इन जवानों ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। आईटीबीपी के जवानों को जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जासेप दर्रे की सीमा सुरक्षा के लिऐ तैनात किया गया है। यह पूरा इलाका चीन से सटे है और 3488 किलोमीटर बार्डर को आईटीबीपी के जवान महफूज करते हैं।

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