एक भारतीय शिक्षक ने 7 करोड़ जीतकर इस नेक काम के लिए बांट दी आधी राशि!

नई दिल्ली। शिक्षक रणजीत सिंह डिसले को बच्चियों की लिए शिक्षा को बेहतर करने में भूमिका निभाने के लिए ‘ग्लोबल टीचर प्राइज़’ से सम्मानित किया गया है। दुनिया का हर शख्स कभी न कभी ये ख्वाब जरूर देखता है कि एक दिन उसके पास बेशुमार दौलत होगी।

फर्ज कीजिए कि आपको एक ही झटके में करोड़ों की रकम मिल जाए तो आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है कि हम में से ज्यादातर लोग इस रकम को खर्च कर आलीशान जिंदगी जिएंगे।

लेकिन एक भारतीय शिक्षक ने ऐसा नहीं किया। शिक्षक रणजीत सिंह डिसले को बच्चियों की लिए शिक्षा को बेहतर करने में भूमिका निभाने के लिए ‘ग्लोबल टीचर प्राइज़’ से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पुरस्कार मिलते ही इस बात की घोषणा कर दी कि वो 10 लाख डॉलर (7.38 करोड़) की पुरस्कार राशि में से आधी उप-विजेताओं के साथ बांटेंगे।

इस पुरस्कार की घोषणा एक ऑनलाइन सेरेमनी में अभिनेता स्टीफ़न फ़्राई ने की। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के परितेवाडी के एक ज़िला परिषद प्राइमरी स्कूल में रणजीत शिक्षक के पद पर तैनात हैं। इस पुरस्कार के लिए उनके साथ 12,000 और शिक्षकों के नामांकन थे।

इस पुरस्कार को जीतने पर 32 साल के डिसले ने कहा, “इस मुश्किल वक़्त में शिक्षक हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि एक-एक बच्चे को उसका शिक्षा का जन्म सिद्ध अधिकार मिल सके।”इसके साथ ही डिसले ने कहा कि शिक्षक ‘हमेशा देने और बांटने में विश्वास करते हैं’ और इसलिए उन्होंने अपनी इनामी राशि की आधी रक़म को उन शिक्षकों में बराबर बांटने का निर्णय लिया है जिन्होंने इस पुरस्कार के लिए शीर्ष-10 में जगह पक्की की थी।

आपको बता दें कि पुरस्कार की रकम को बांटने का अर्थ है कि रणजीत को मिली इनामी धनराशि में से 40-40 हज़ार पाउंड यानि तकरीबन 39-39 लाख रुपये इटली, ब्राज़ील, वियतनाम, मलेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ़्रीका, दक्षिण कोरिया, अमेरिका के उप-विजेताओं सहित ब्रिटेन के जेमी फ्रॉस्ट के हिस्से में चली जाएगी।

इस पुरस्कार की घोषणा करने वाले जजों ने पाया कि डिसले ने यह सुनिश्चित किया कि लड़कियां किसी तरह स्कूल आ सकें और बाल विवाह जैसी कुप्रथा का सामना न करें। इसके अलावा रणजीत 83 देशों में ऑनलाइन विज्ञान पढ़ाते हैं। इस पुरस्कार को वार्के फ़ाउंडेशन आयोजित करता है इसके संस्थापक सनी वार्के ने कहा कि ‘इस पुरस्कार को बांटकर आप दुनिया को देने का मतलब समझाते हैं।’

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