महायुद्ध का ऐलान: चाइनीज ऐप्स पर बैन, डिजिटल आजादी के महासंग्राम की शुरूआत!

नई दिल्ली। भारत में चाइनीज ऐप्स पर बैन डिजिटल आजादी के महासंग्राम की शुरुआत है। चीन से चल रहे गतिरोध के बीच केंद्र सरकार ने 59 चाइनीज एप्स को बैन करने का ऐतिहासिक आदेश जारी किया है।

चाइनीज ऐप्स पर बैन डिजिटल आजादी के महासंग्राम की शुरुआत है
चीन से चल रहे गतिरोध के बीच केंद्र सरकार ने 59 चाइनीज एप्स को बैन करने का ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सरकारी आदेश में चीनी एप्स पर बैन की कोई बात नहीं कही गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर आईटी मंत्रालय द्वारा आईटी एक्ट की धारा 69 ए के तहत जारी इस आदेश पर अमल करने में आगे अनेक चुनौतियां आएंगी. अंग्रेजों के खिलाफ सन 1857 की लड़ाई को प्रथम स्वाधीनता संग्राम माना जाता है.।उसी तरीके से डिजिटल इंडिया की इस सर्जिकल स्ट्राइक को विदेशी डिजिटल औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ भारत के महयुद्ध का ऐलान माना जा सकता है।

डाटा यानी बहुमूल्य संसाधन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा का हथियार
सरकारी आदेश जारी होने के बाद कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट करके कहा कि यह देशहित में लिया गया फैसला है। इससे भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा के साथ 130 करोड़ लोगों की डाटा सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी. चीन ने विदेशों की डिजिटल कंपनियों पर बैन लगा रखा है। लेकिन चीनी एप्स और डिजिटल पूंजी ने भारत समेत विश्व के अधिकांश डिजिटल बाजार में कब्जा कर रखा है।

भारत में लगभग 50 करोड़ स्मार्टफोन के माध्यम से चीनी एप्स ने 30 करोड़ यूजर्स को अपनी सीधी गिरफ्त में लिया है। टिकटाक ने भारत में 61 करोड़ यूजर्स के माध्यम से 30 फीसदी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार को कब्जा लिया है।

चीनी ऐप के इस्तेमाल से भारत के करोड़ों लोगों का डाटा चीन की सरकार और पीएलए की सेना के पास पहुंचने से भारत की सुरक्षा को खतरे के साथ चीनी कंपनियां मालामाल हो रही हैं। 1962 का चीन युद्ध सीमा में भारत की सेना द्वारा लड़ा गया था. अब 21 वी शताब्दी में चीनी दादागिरी से निपटने के लिए चीन को साइबर तरीके से ही मुंहतोड़ जवाब देना होगा. इस डिजिटल युद्ध में केंद्र सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

फैसला लागू करने में होंगी अनेक चुनौतियांटिकटॉक को पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट ने बैन कर दिया था, फिर उसे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी. केंद्र सरकार के आदेश को लागु करने के लिए गूगल को एंड्रॉयड प्ले स्टोर और एप्पल को आईओएस प्लेटफार्म से इन एप्स को 48 घंटे के भीतर हटाना होगा. इंटरनेट और टेलीकॉम कंपनियों को भी केंद्र सरकार के इस आदेश को लागू करना होगा. अब नए यूजर्स इन चीनी ऐप को डाउनलोड नहीं कर पाएंगे. गूगल और एप्पल द्वारा इन एप्स को अपने प्ले स्टोर से हटाने के बाद सभी डाउनलोड भी निष्क्रिय हो जाएंगे।

पॉर्नोग्राफिक वेबसाइट पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कार्रवाई पिछले कई सालों से विफल हो रही है. जम्मू-कश्मीर में भी इंटरनेट बंदी के दौरान एप्स को गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल करने की व्यवस्था बन गई. भारत में एप्स को बैन करने के लिए आदेश पारित करने का केंद्र सरकार को पूरा अधिकार है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय डिजिटल बाजार में आदेश को लागू करने की तकनीकी और प्रशासनिक व्यवस्था भारत में अभी भी बनना बाकी है।

बैन के बाद का रोड मैप कैसा होगा
सरकार ने इन चीनी एप्स को बैन करने के लिए जो कारण बताए हैं, उन्हें दुरुस्त किए बगैर दोबारा इन एप्स को भारत में कारोबार की अनुमति अब मिलना मुश्किल है. केएन गोविंदाचार्य की याचिका पर 7 साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय डाटा की सुरक्षा, इंटरनेट और एप्स पर टैक्स, डाटा के भारतीय सर्वर में स्टोरेज जैसी महत्वपूर्ण बातों पर आदेश जारी किये, जिन्हें लागू करने की शुरुआत इस आदेश से हो गई है।

चीनी एप्स के साथ अमेरिका और दूसरे देशों की कंपनियों ने भी भारत के डिजिटल बाज़ार में गैरकानूनी कब्ज़ा जमा रखा है. भारत के 130 करोड़ लोगों की डाटा चोरी से विदेशी कंपनियां मालामाल होने के साथ भारत डाटा उपनिवेश का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है.

इस चुनौती का जवाब देने के लिए डेटा सुरक्षा कानून के साथ डिजिटल कंपनियों की आमदनी पर टैक्स वसूली के लिए सख्त कानूनी व्यवस्था बनानी होगी. लॉकडाउन की वजह से युवाओं में डिजिटल की लत बढ़ने से टिकटाक जैसी कंपनियों को विस्तार का मौका मिलता है. चीन के डिजिटल साम्राज्यवाद से मुकाबले में इस सरकारी आदेश को कामयाब बनाने के लिए भारत की जनता को भी पूरा सहयोग करना होगा। लेखक सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हैं, ये उनके निजी विचार हैं।

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