सावधान ! आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों की सांठगांठ का खेल उजागर, कहीं आपको खराब दवा तो नहीं मिल रही ?

संवाददाता
लखनऊ। यदि आप सरकारी अस्पताल से आयुर्वेदिक दवा ले रहे हों तो सावधान हो जाइए। कहीं वह दवा आपके शरीर से खिलवाड़ तो नहीं कर रही है। इस बात का खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के आते ही स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है। जांच में यह बात सामने आई है कि किसी दवा की गुणवत्ता खराब है तो किसी में संबंधित तत्व ही नहीं है।
कुल मिलाकर इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है कि प्रदेश में घटिया आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। क्योंकि, अब ये कारोबारी इन अधोमानक दवाओं को बाजार ही नहीं, सरकारी आपूर्ति में भी खपाने से नहीं चूक रहे। वहां पर तो कमीशन के सहारे बड़ी मात्रा में ऐसी दवाएं खपाई जा रही हैं जो सरकार के मानकों पर ही खरी नहीं उतर रहीं और जांच में भी पकड़ में आ रही हैं, फिर भी जनता को मौत बांटने के लिए गरीब जनता की गाढ़ी कमाई से लगातार खरीदी जा रही हैं।
जानकारी के अनुसार  प्रदेश में आयुर्वेद विभाग के अधीन दवाओं की जांच के लिए अलग से ड्रग इंस्पेक्टर नहीं हैं। यह जिम्मा हर जिले के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के पास है। इनको हर माह कम से कम दो सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने का निर्देश है, लेकिन ये अधिकारी सैंपल लेने में ही कतराते हैं। सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों और आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों की सांठगांठ से यह खेल रहा है। अधिकारी खुद को विभिन्न कार्यों में व्यस्त होने का हवाला देकर जांच से बचते रहते हैं। इसका अंदाजा इस  बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल से जून तक विभाग की केंद्रीय लैब में कम से कम 600 सैंपल पहुंचने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 40 सैंपल आए हैं।
करीब 30 जिलों से तो एक भी सैंपल नहीं भेजा गया है। खास बात यह है कि जितने सैंपल आए, उसमें जांच के दौरान ज्यादातर फेल हो गए। किसी में गुणवत्ता खराब मिली तो किसी में दवा कंपनी को ओर से बताए गए तत्व कम मिले। इस पर संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी कर अपने कर्तव्यों को पूरा कर लिया। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में 85 सैंपल की जांच की गई थी, जिसमें 60 फेल हो गए। वर्ष 2020 में 36 में 21, वर्ष 2019 में 66 में 45 सैंपल फेल हुए थे। अप्रैल में हुई दवाओं की जांच में 72 फीसदी आयुर्वेदिक दवाएं अधोमानक पाई गई थीं। इन सभी कंपनियों को नोटिस जारी किया गया था।
आयुर्वेद निदेशालय के निदेशक डा. एसएन सिंह कहते हैं कि पिछले दिनों सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी गई है। सभी को कम से से दो सैंपल हर माह भेजने का निर्देश दिया गया है। उन्हें दोबारा रिमाइंडर भेजा जा रहा है। जिस कंपनी के सैंपल अधोमानक मिले थे, उन्हें भी नोटिस जारी किया गया था।
आयुष एवं एफएसडीए मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. दयाशंकर  मिश्र ‘दयाल’ु का कहना है कि प्रदेश में किसी भी कीमत पर अधोमानक दवाओं का कारोबार नहीं चलने दिया जाएगा। यह तय किया जाएगा कि किस जिले से कितने सैंपल भेजे गए और उनके क्या परिणाम रहे। उसी के अनुसार कार्यवाही क्यों नहीं की गई।

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