248 करोड़ की लागत से बनेगा बांके बिहारी कॉरिडोर, लोग और व्यापारी हुए परेशान

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जन्माष्टमी पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में हुए हादसे को लेकर योगी सरकार ने बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने पर प्रस्ताव पर मंजूरी मांगी है। जल्द ही ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की नींव रखी जा सकती है।

मथुरा: भगवान बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर  बनने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। जल्द ही मंदिर कॉरिडोर का उद्घाटन करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  वृंदावन आएंगे। वहीं, कॉरिडोर की चर्चाएं तेज होने के चलते वृंदावन के व्यापारी और स्थानीय लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान बांके बिहारी मंदिर में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। श्रद्धालुओं की मौत के बाद सीएम ने संज्ञान लेकर कमेटी का गठन किया था। पूर्व आईपीएस और कमेटी के अध्यक्ष सुलखान सिंह ने पूर्व के दिनों में वृंदावन का दौरा किया था। दौरा करने के बाद वृंदावन की स्थिति को जाना था। वृंदावन के भ्रमण के बाद कमेटी के अध्यक्ष सुलखान सिंह ने अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंपी है। रिपोर्ट सौंपने के बाद भगवान बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर बनाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। कॉरिडोर बनने की चर्चाएं तेज होने के कारण बांके बिहारी मंदिर के आसपास बसे लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। जल्द ही भगवान बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो सकता है। 248 करोड़ की लागत से मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पूर्ण होगा। मंदिर के आसपास कई एकड़ भूमि को कॉरिडोर के लिए अधिग्रहण किया जाएगा।

स्थानीय लोगों के पास नहीं जमीन का मालिकाना हक

भगवान बांके बिहारी मंदिर के आसपास बसे हुए लोगों से जब बात की तो उन्होंने बताया कि कॉरिडोर बनाने के फैसले से वह बेहद नाराज हैं। उनकी रोजी-रोटी का साधन कॉरिडोर बनने से छिन जाएगा। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां किसी के पास भी भूमि के कागजात नहीं हैं। सरकार मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण करती है तो यहां के निवासियों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। स्थानीय व्यापारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है तो हम भी कॉरिडोर न बनने को लेकर जिद पर अड़े रहेंगे। कुछ भी हो जाए हम बांके बिहारी मंदिर पर कॉरिडोर का निर्माण नहीं होने देंगे।

व्यापारियों की रोजी-रोटी पर गहरा जाएगा संकट
दुकानदार जितेंद्र कुमार गौतम उर्फ टीटू भैया और संतोष से जब बात की तो उन्होंने बताया कि कॉरिडर अगर बनता है तो छोटे व्यापारियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। उनकी रोजी-रोटी पर संकटों के बादल मंडराएंगे। उन्होंने कहा कि दर्शन करने जो श्रद्धालु आते हैं, उनके हिसाब से सही हो रहा है, लेकिन व्यापारियों के हिसाब से किसी का नुकसान नहीं होना चाहिए। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जो हम व्यापारियों का नुकसान भी न हो और श्रद्धालुओं के लिए सुविधा भी हो जाए। हिमांशु गोस्वामी और लोकेश शर्मा ने भी वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर नाराज नजर आए।

तात्कालिक उपाय

  1. भगवान बांके बिहारी मंदिर में हुई हादसे की जांच करने आए पूर्व आईपीएस और कमेटी के अध्यक्ष सुल्तान सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कई बिंदुओं को अंकित किया है।
  2. वर्तमान में अत्यधिक बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए बांके बिहारी मंदिर के दर्शन का समय बढ़ाया जाना अत्यंत आवश्यक है। अतः संस्कृति की जाती है कि विशिष्ट अवसरों पर कम से कम 18 घंटे तक सामान्य अवसरों पर 12 घंटे तक बांके बिहारी मंदिर के दर्शन का समय कर दिया जाए।
  3. बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की काफी अधिक संख्या को देखते हुए यह आवश्यक है कि ऑनलाइन पूर्व पंजीकरण की व्यवस्था लागू की जाए, जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या खासकर सप्ताह के दिनों में विशिष्ट त्योहार और अफसरों पर सीमित रखी जा सके। श्रद्धालुओं का प्रवेश उनके लिए निर्धारित समय स्लॉट्स के साथ ही अनुमन्य किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की संख्या को आसानी से नियंत्रित रखा जाए।
  4. कम समय में अत्याधिक श्रद्धालुओं को दर्शन कराने की व्यवस्था हो जाने से मंदिर के अंदर प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं का दबाव कम होगा। साथ ही बाहर से एकत्रित श्रद्धालुओं में बेचैनी कम होगी और संतुष्ट रहेंगे। अत्यधिक भीड़ के समय बहुत से श्रद्धालु स्क्रीन पर दर्शन करके वापस जा सकते हैं, अतः संस्कृति की जाती है कि विग्रह और आरती आदि का उच्च गुणवत्ता पूर्ण प्रदर्शन डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से मंदिर परिसर के बाहर किया जाए।
  5. उपयोगिता अनुसार इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विग्रह के दर्शन व आरती इत्यादि की ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए।
  6. वर्तमान में बिहारी जी का विग्रह जहां विराजमान रहता है। वहां से मंदिर हॉल के सिर्फ बीच एक पट्टी में मौजूद दर्शक ही दर्शन कर पाते हैं। इससे उसी बीच के स्थान में आने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनता है। त्योहारों पर सप्ताहांत के दिनों में अति व्यस्त कालखंड जैसे श्रावण आदि में विग्रह को जगमोहन विराजमान कराया जाए।
  7. मंदिर प्रांगण में बने बरामदा से उतरने वाली सीढ़ियां , जोकि गेट नंबर 2 व 3 से आने पर पड़ती हैं, उसके स्थान पर रैंप बनाई जाए, ताकि श्रद्धालुओं के लिए गिरने की स्थिति कम हो और अचानक भीड़ का दबाव अंदर न बढ़े।
  8. मंदिर के अंदर सुधारों की गतिशीलता बनाए रखने हेतु नए सिरे से बैरीकेडिंग योजना बनाई जाए,
  9. मंदिर से संबंधित गोस्वामी समाज के समस्त सदस्यों को जांच के बाद पहचान पत्र जारी किए जाएं, ताकि अवांछित व्यक्तियों का प्रवेश मंदिर परिसर में पूर्ण से रोका जा सके।
  10. बस मान में श्रद्धालु जहां पर अपने जूते उतारते हैं। दर्शन के बाद उस स्थान पर नहीं पहुंचते हैं। अतः अधिकतर लोग अपने जूते छोड़ कर चले जाते हैं। परंतु काफी लोग उल्टी दिशा में चलकर जूते तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। प्रवेश स्थान के पास हजारों की संख्या में पड़े हुए जूते दर्शनार्थियों के संचरण में बाधा उत्पन्न करते हैं। प्रतिदिन नगर निगम के द्वारा बाहर पड़े हुए जूते चप्पल फेंके जाते हैं। दर्शनार्थियों के लिए ऐसे स्थान पर जूता घर बनाए जाएं, जिससे श्रद्धालु  अपने जूते उसी स्थान पर आकर पहन सकें।
  11. मंदिर को जाने वाली गलियों में दर्शनार्थियों को बहुत धीरे-धीरे चलना पड़ता है, जिससे वे काफी बेहाल हो जाते हैं। इससे उनमें बेचैनी उत्पन्न हो जाती है। खासकर उमस वाले दिनों में स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है। मंदिर के बाहर की गलियों में सर्कुलेटर पंखे लगाए जाएं। ताकि उपयुक्त दूरी पर सर्कुलेटर पंखे दर्शनार्थियों को ताजी हवा दे सकें और कुछ ठंडक श्रद्धालुओं को मिल सके।
  12. पूर्व में भी दर्शनार्थियों के दम घुटने की और बेहोश होने की घटनाएं हो चुकी हैं। अतः मंदिर के दोनों निकास द्वारों पर एवं अन्य स्थानों पर फर्स्ट एड बूथ संचालित किए जाएं।

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