शॉकिंग तस्वीरें: 30 साल चले गृहयुद्ध को खत्म करने वाला नायक बना खलनायक, हर तरफ आग

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति बनती जा रही है। यहां अप्रैल महीने से जारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन अब हिंसा में बदल गया है। भले ही सोमवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दबाव में आकर इस्तीफा दे दिया, लेकिन हालत काबू में आते नहीं दिख रहे हैं। अब सरकारी विरोधी और समर्थकों के बीच हिंसा फैल गई है। हिंसक भीड़ ने 12 से ज्यादा मंत्रियों के घर जला दिए हैं। श्रीलंका में फंसे भारतीयों के लिए भारत सरकार ने हेल्पलाइन नंबर +94-773727832 और ईमेल ID [email protected] जारी किया है। पुलिस प्रवक्ता निहाल थलडुवा एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि सोमवार की हिंसा में सत्तारूढ़ पार्टी के एक विधायक समेत चार लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रपति राजपक्षे ने सोमवार शाम को देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया जो बुधवार सुबह तक चलेगा।

एक महीने से अधिक समय से यह विरोध पूरे देश में फैल गया है। ऐसा देश में पहली बार है कि मध्यवर्गीय श्रीलंकाई भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं।

श्रीलंका में गहराए आर्थिक संकट के बाद शुरू हुए विरोध ने दशकों से श्रीलंका के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक राजवंश राजपक्षे को लेकर लोगों में गुस्सा भर दिया है।

ये वही महिंदा राजपक्षे हैं, जिन्होंन देश के 30 साल के गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए द्वीपों के कई बौद्ध-सिंहली बहुसंख्यकों ने उन्हें नायक माना था।

श्रीलंका में दूध से लेकर ईंधन तक हर चीज का आयात गिर गया है। इससे खाने-पीने की चीजों में गंभीर कमी हो गई है और बिजली की कटौती हो रही है। जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर हैं। डॉक्टरों ने अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं की गंभीर कमी की चेतावनी दी है। सरकार ने अकेले इस साल देय विदेशी ऋण में $ 7 बिलियन का भुगतान टाल दिया है।


राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुरू में श्रीलंका के आर्थिक संकट को वैश्विक कारकों पर जिम्मेदार ठहराया। इसके लिए कोरोना महामारी को जिम्मेदार माना गया, जिसकी वजह से श्रीलंका का पर्यटन उद्योग धराशाई हो गया। अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक तेल की कीमतों को आगे बढ़ाया।


श्रीलंका सरकार 2019 में करों में कटौती और COVID-19 महामारी के दौरान टैक्स वसूली के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार का खजाना खाली हो चुका है।

सरकार ने पिछले साल श्रीलंका की कृषि को 100 फीसदी ऑर्गेनिक बनाने का फैसला किया था और रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके चलते कृषि उपज काफी घट गई जो खाद्यान संकट का कारण बनी।


ब्लैकआउट के अलावा भोजन, ईंधन और दवाओं की बहुत अधिक कमी ने इस दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र को भयंकर संकट में डाल दिया है। 1948 में स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका का यह सबसे खराब दौर चल रहा है।

श्रीलंका ने कुल कर्ज का 47% दूसरे देशों से ले रखा है। सबसे अधिक 15% चीन से लिया हुआ है। राजपक्षे परिवार पर देश को लूटने का आरोप भी लग रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि 2004 से 2014 तक के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 19 अरब अमेरिकी डॉलर का गबन किया है।

श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर अली सबरी (Ali Sabry) का पिछले दिनों बयान आया था कि देश में फ्यूल और दवाइयों की सप्लाई को सुचारू करने और आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने श्रीलंका को अगले 6 महीने में करीब 3 बिलियन डॉलर की जरूरत है। हालांकि सरकार उधारी किससे मांगे, नहीं पता।

श्रीलंका में हिंसा का आलम अब यह है कि प्रदर्शनकारी मंत्रियों के घरों पर हमला कर रहे हैं। उग्र होती भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस आंसू गैस के गोले छोड़ रही है और हवाई फायरिंग कर रही है।

 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*