BJP को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस की 10 दलीलें कोर्ट में

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कांग्रेस की याचिका स्वीकार करते हुए देर रात ही जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबड़े की तीन जजों वाली बेंच गठित कर सुनवाई का आदेश दे दिया. सुनवाई रात के 1:45 बजे से शुरू होकर करीब 5:30 बजे तक चली. इस दौरान कांग्रेस ने बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए जो दलीलें दीं, यहां पेश है :

1. कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण को सुबह नौ बजे के बजाय शाम 04.30 बजे तक टाला जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो कम से कम 3 घंटे के लिए इसको टाला जाए.

2. सिंघवी ने कहा राज्यपाल ने येदियुरप्पा को 15 दिन का समय दिया गया, हमने तो केवल 7 दिन का वक्त मांगा था.

3. राज्यपाल का फैसला संवैधानिक पाप है, इससे खरीद-फरोख्त बढ़ेगी. केवल 104 विधायकों की संख्या पर राज्यपाल ने बीजेपी को कैसे सरकार बनाने के लिए बुला लिया है? ये असंवैधानिक है.

4. कांग्रेस और जेडीएस की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले के विरोध में सरकारिया कमीशन समेत कई अन्य बातों का हवाला दिया और ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की.

5. कोर्ट में मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के पास 116 विधायकों का समर्थन है इसके बावजूद राज्यपाल ने पार्टी को आमंत्रित नहीं किया.

6. कांग्रेस और जेडीएस का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने के इनकार कर दिया, लेकिन उन्हें नोटिस जारी कर दिया. बीजेपी को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा सरकार गठन के लिए जरूरी 112 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र को कोर्ट में पेश करें.

7. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जेडीएस से कहा कि बीजेपी के बहुमत साबित करने और ना करने की स्थिति में यह फैसला होगा.

8. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जेडीएस से कहा है कि अब इस मामले में शुक्रवार (18 मई) दोबारा 10 .30 बजे दोबारा इस मामले में सुनवाई करेगा. कोर्ट ने येदियुरप्पा को 15 और 16 मई को राज्यपाल के सामने पेश की गई समर्थन की चिट्ठी को भी जमा कराने को कहा है.

9. इससे पहले राजभवन की ओर से लैटर जारी होने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के एक प्रतिनिधि मंडल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर तुरंत सुनवाई करने और येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने की मांग की. जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और तुरंत सुनवाई की.

10. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा तीसरी बार हुआ जब मध्‍य रात्रि में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले हालिया दौर में 2015 में याकूब मेनन की फांसी के मसले पर इस तरह की मध्‍य रात्रि में सुनवाई हुई थी.

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