तमिलनाडु के शहरी निकाय चुनाव में भाजपा हारकर भी जीती

तमिलनाडु में 21 निगमों, 138 नगर पालिकाओं और 490 नगर पंचायतों में 12,607 पदों के लिए शनिवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव हुए। 12,607 पदों के लिए 57,778 उम्मीदवार मैदान में थे। बीजेपी को कई सीटों पर बढ़त मिली है। अरियालुर, कृष्णागिरी, रानीपेट और वेल्लोर में भी जीत दर्ज की है।
चेन्नैः तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम और उसके सहयोगी दलों ने नगर निकाय चुनावों में शानदार जीत दर्ज की है। पार्टी ने 12,800 से अधिक वार्ड सदस्य पदों में से दो-तिहाई पर जीत हासिल की और राज्य में सभी 21 नगर निगमों में जीत हासिल की। अकेले चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने नगर निगम में 22, नगरपालिकाओं में 56 और नगर पंचायतों में 230 सीट हासिल कीं। वह किसी स्थानीय निकाय में अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई। हालांकि बीजेपी इसे जीत मानकर चल रही है क्योंकि पहले नगर पालिकाओं में उसकी उपस्थिति नहीं थीं।
शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में 2012 की तुलना में बीजेपी का इस बार 0.7 वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2011 में बीजेपी अकेले लड़ी थी। पार्टी की नगर पंचायतों में 2.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी यह 2022 के शहरी निकाय चुनाव में बढ़कर 3.01प्रतिशत हो गई है। नगर पालिकाओं में, 2011 में इसकी सीट हिस्सेदारी 1प्रतिशत थी अब यह बढ़कर 1.45 प्रतिशत हो गई है। पार्टी की सीटें भी बढ़ी हैं। 2011 में 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में निगम वार्डों में 1.67 प्रतिशत हो गया है। कुल मिलाकर, 2011 में निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में पार्टी की सीट हिस्सेदारी 1.76 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 2.4 प्रतिशत हो गई है।
2011 में जीती थी 272 सीटें
भाजपा ने 28 जिलों की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में अपनी पहुंच बढ़ाई है। पहले यह केवल कन्याकुमारी जैसे पारंपरिक गढ़ों में थी। पार्टी ने उत्तरी जिलों जैसे अरियालुर, कृष्णागिरी, रानीपेट और वेल्लोर में भी जीत दर्ज की। इसने ग्रेटर चेन्नै कॉरपोरेशन में अपना खाता ऊषा आनंदन के साथ खोला। ऊषा 134 वें वार्ड में अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी को हराकर जीतीं। भाजपा ने 2011 के अपने 272 सीटों के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया है।
बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण मोड़
बीजेपी इस बार निकाय चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने बताया कि यह बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण टर्न है। तमिलनाडु की राजनीति में अब एक नया नजरिया आएगा।
पार्टी ने 2001 के स्थानीय निकाय चुनावों में डीएमके गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उसके बाद 2006 और 2011 के बाद बीजेपी अकेले चुनाव लड़ी। हालांकि कांग्रेस ने डीएमके के साथ अधिक सीटें जीतीं और तीसरा स्थान हासिल किया, भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा और उन क्षेत्रों में एक या दो वार्ड जीते जहां उसकी उपस्थिति कम थी।
‘हिंदुत्व का दिख रहा असर’
पार्टी अब कुड्डालोर, मदुरै, कांचीपुरम, होसुर, तंजावुर, डिंडीगुल, शिवकासिया और वेल्लोर में भी जीत का दावा कर रही है। नेताओं का कहना है कि पार्टी की ओर से दिए गए हिंदुत्व को लेकर राज्य में कुछ असर पड़ा है।
बढ़ा वोट प्रतिशत
तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि बीजेपी को बड़ी जीत मिली है, राज्य के हर नुक्कड़ पर कमल खिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा तमिलनाडु में तीसरी पार्टी के रूप में उभरी है। मैं उन नेताओं को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने हमारे उम्मीदवारों की जीत के लिए कड़ी मेहनत की। हालांकि हम जीत नहीं पाए, लेकिन हमें जो वोट प्रतिशत मिला, वह खुश करने वाला है।

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