10 राज्यों में ब्लैक फंगस ने दी दस्तक, जानिए इसके बारे

नई दिल्ली। ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानी ब्‍लैक फंगस का खतरा बढ़ता दिख रहा है। इस बीमारी में रोगियों की आंखों की रोशनी जाने और जबड़े व नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता है। ये इतनी गंभीर बीमारी है कि इसमें मरीज को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।

गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, यूपी, बिहार और हरियाणा में भी ब्‍लैक फंगस के मरीज सामने आ चुके हैं. कोरोना मरीजों में पहले अगर किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी है तो उनमें ब्‍लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। COVID-19 के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि कई कोरोनोवायरस के मरीजों को डायबिटीज होता है। जिस किसी भी मरीज को डायबिटीज की शिकायत होती है उनमें ब्लैक फंगस की समस्‍या ज्‍यादा देखी गई है।

किस राज्‍य में ब्‍लैक फंगस को लेकर क्‍या है स्थिति:-

गुजरात। गुजरात में ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानि ब्‍लैक फंगस के मामले सबसे ज्‍यादा देखने को मिल रहे हैं। हालात ये हैं कि राज्य सरकार ने इसके लिए अस्पतालों में अलग वार्ड तक बनाने शुरू कर दिए हैं। गंभीरता बीमारी को देखते हुए सरकार ने इसके इलाज में काम आने वाली दवा की 5,000 शीशियों भी खरीद ली है। बता दें कि गुजरात में अब तक ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इसमें से कई मरीजों की आंख की रोशनी तक जा चुकी है।
महाराष्ट्र : कोरोना से सबसे प्रभावित महाराष्ट्र में भी ब्‍लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोप ने बताया कि राज्य में अब तक दो हजार से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। राज्य सरकार ने इस बीमारी के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों को ब्लैक फंगस के उपचार केंद्र के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया है।

राजस्थान : राजस्‍थान में ब्‍लैक फंगस के मामले अब तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। पिछले 24 घंटे की बात करें तो जयपुर में ब्लैक फंगस के 14 मामले सामने आए हैं. ब्‍लैक फंगस से संक्रमित कई मरीजों की आंख तक जा चुकी है।

मध्य प्रदेश : मध्यप्रदेश में भी ब्लैक फंगस ने दस्‍तक दे दी है. ब्‍लैक फंगस से अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है। इसके साथ ही राज्य में इसके 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए राज्‍य के डॉक्‍टर अमेरिकी डॉक्टरों से भी जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं।

तेलंगाना : हैदराबाद में ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले सामने आ चुके हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि इनमें से लगभग 50 मामले एक महीने के अंदर जुबली हिल्स के अपोलो हॉस्पिटल में सामने आए हैं। जबकि अन्य पांच-पांच मामले कंटीनेंटल हॉस्पिटल और एस्टर प्राइम हॉस्पिटल में सामने आए हैं।

कर्नाटक : बेंगलुरु में भी हालात सामन्‍य नहीं दिखाई पड़ रहे हैं. बेंगलुरु के ट्रस्ट वेल हॉस्पिटल ने बताया कि पिछले दो हफ्तों से यहां पर ब्लैक फंगस के 38 मामले सामने आए हैं। संक्रमितों की देखभाल के लिए अस्पतालों में एक विशेष व्‍यवस्‍था की गई है।

क्या बला है म्यूकोरमाइसिस?
इसे ज़ायगोमायकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। सीडीसी यानि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के मुताबिक, ये एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक फंगल इन्फेक्शन है जो म्यूकोरमाइसेट्स नाम के फफूंद यानि मोल्ड या फंगस के समूह की वजह से होता है। ये फंगस वातावरण में प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। ये इंसानों पर तब ही हमला करता है जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ती है। हवा में मौजूद ये फंगल स्पोर्स यानि फफूंद बीजाणु सांस के जरिए हमारे फेफड़ों और साइनस में पहुंच कर उन पर असर डालते हैं. ये फंगस शरीर में लगे घाव या किसी खुली चोट के ज़रिये भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

कौन आ सकता है चपेट में?
सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी (नाक, कान, गला) विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप के मुताबिक कोविड -19 के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, उन्हें ब्लैक फंगल म्यूकोरमाइकोसिन बीमारी से ज्यादा खतरा होता है. कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दी जाने वाली स्टेरॉयड और कई मामलों में कोविड-19 के मरीजों को डायबिटीज सहित दूसरी बीमारियों का होना, ब्लैक फंगस के मामलों के दोबारा बढ़ने की एक वजह हो सकता है।

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