सीएम की नो बकवास सीधी बात: मुस्लिम पुरुष 2-3 बीवियां रखें, 20-25 बच्चे पैदा करें,ऐसा बिलकुल नहीं चलेगा

मोरीगांव। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बिंदास बोलने के लिए जाने जाते हैं। इस समय वे असम की पॉलिटिकल पार्टी AIUDF के प्रेसिडेंट और धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल के ऊट-पटांग बयानों को लेकर ‘गर्म’ तेवर अपनाए हुए हैं। यह दूसरा मौका है, जब उन्होंने मुस्लिम कुरीतियों या इस्लामिक प्रथाओं को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है। पढ़िए क्या बोले सरमा…

AIUDF के प्रेसिडेंट बदरुद्दीन अजमल प्रमुख पर निशाना साधते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में बदरुद्दीन अजमल जैसे कुछ नेता हैं, जिन्होंने कहा कि महिलाओं को जल्द से जल्द बच्चों को जन्म देना चाहिए। मैंने बार-बार कहा है कि हमारी महिलाएं 20-25 बच्चों को जन्म दे सकती हैं, लेकिन अजमल को उनका खाना, कपड़ा, पढ़ाई और अन्य सभी खर्च उठाने होंगे, तब हमें कोई समस्या नहीं होगी।
असम के सीएम ने आगे कहा, “अगर अजमल खर्च नहीं देंगे, तो किसी को भी बच्चे के जन्म पर बयान देने का अधिकार नहीं है। हम केवल उतने ही बच्चे पैदा करेंगे, जिन्हें हम भोजन प्रदान कर सकते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बना सकते हैं।”
हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार(8 दिसंबर) को मोरीगांव में एक बार फिर AIUDF के चीफ बदरुद्दीन अजमल को आड़े हाथ लिया। यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए तीन-चार महिलाओं से निकाह करने वाले पुरुषों की इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत है।
सरमा ने सीधे शब्दों में कहा कि स्वतंत्र भारत में रहने वाले पुरुष को तीन-चार महिलाओं से (बिना पूर्व पति को तलाक दिए) शादी करने का कोई अधिकार नहीं हो सकता है। हमें ऐसी व्यवस्था बदलनी होगी। हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने का प्रयास करना होगा।
हिजाब को लेकर सरमा ने सवाल उठाया कि अगर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए कहा जाता है, तो लड़के भी यही चीज क्यों नहीं इस्तेमाल करते? सरमा ने मुस्लिम लड़कियों की एजुकेशन को लेकर कहा-“मुस्लिम लड़कियां स्कूल में नहीं पढ़ सकती हैं और मुस्लिम पुरुष 2-3 महिलाओं से शादी करेंगे? हम इस व्यवस्था के खिलाफ हैं। हम `सबका साथ सबका विकास’ चाहते हैं।” सरमा ने कड़े शब्दों में कहा कि असम में बदरुद्दीन अजमल जैसे कुछ नेता हैं, जिन्होंने कहा कि महिलाओं को जल्द से जल्द बच्चों को जन्म देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी महिलाएं 20-25 बच्चे पैदा कर सकती हैं, लेकिन अजमल को उनका खाना, कपड़ा, पढ़ाई और अन्य सभी खर्च उठाने होंगे और फिर हमें कोई समस्या नहीं है।

सरमा ने मुस्लिम वोट बैंक को लेकर भी बड़ी बात कही। उन्होंने कि असम के कई विधायक चाहते हैं कि मुस्लिम वोट करें, लेकिन वे अच्छे सुझाव नहीं देना चाहते। लेकिन हमें उनका वोट नहीं चाहिए और हम तटस्थ रहकर अच्छे सुझाव देना चाहते हैं कि अपने बच्चों को जुनाब, इमाम मत बनाओ, अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाओ और उन्हें बेहतर इंसान बनाओ।”

दरअसल, बदरुद्दीन अजमल ने असम के करीमगंज में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, “वो (हिंदू) 40 साल से पहले गैरकानूनी तरीके से 2-3 बीवियां रखते हैं। 40 साल के बाद उनमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कहां रहती है। उनको मुसलमानों के फॉर्मूले को अपनाकर अपने बच्चों की 18-20 साल की उम्र में शादी करा देनी चाहिए।” हालांकि मामला तूल पकड़ने पर उन्होंने माफी मांग ली थी।

बहु निकाह का मुद्दा लगातार गर्माया हुआ है। फिल्म लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने भी कॉमन सिविल कोड बिल पर एक ऐसी सलाह दी है, जो वायरल है। जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को आड़े हाथों लेते हुए कहा-“मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है, जो समानता के खिलाफ है। अगर पति कई पत्नियां रख सकता है तो फिर औरत को भी यही हक मिलना चाहिए।

 

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