कम बैक तालिबान:एयरलिफ्ट का होश उड़ाने वाला मंजर, लटकर जाने के लिए मारामारी !

काबुल। 20 साल बाद तालिबान फिर से अफगानिस्तान पर काबिज हो गया है। 1998 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करके शरिया कानून लागू किया था, तब लोगों को सरेआम सजा दी गई थी। ऐसा ही फिर से दिखाई देने लगा है। तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर बिना हिजाब पहने दिखीं महिलाओं को गोली मार दी। जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी सेना ने भी फायरिंग की। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। अफगानिस्तान से भागने के लिए हवाई जहाज में चढ़ने के लिए मारामारी होते देखी गई। देखिए बर्बादी की राह पर पहुंचे एक देश की कुछ तस्वीरें…

अमेरिका ने अपने नागरिकों को निकालने काबुल एयरपोर्ट पर 6 हजार सैनिक तैनात किए हैं। लेकिन लोग इतने डरे हुए हैं कि वे एक हवाई जहाज में लटककर भी यात्रा करने को तैयार हैं। यह तस्वीर यही दिखाती है। दावा है कि सोमवार सुबह काबुल एयरपोर्ट पर यह चौंकाने वाला मंजर देखा गया।

ये हैं तालिबान के चार बड़े नेता
रविवार को तालिबान ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में लेने के बाद अपने शासन का ऐलान किया। तालिबान को इस समय 4 लोग कमांड कर रहे हैं।

चीफ- हैबतुल्लाह अखुनज़ादा
ये एक मौलवी हैं और लंबे वक्त तक जज रहे हैं। मई 2016 में मुल्ला मंसूर अख्तर के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद हैबतुल्लाह को सुप्रीम लीडर चुना गया।

सिराजुद्दीन हक्कानी
ये सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ चुके हैं। ये मुजाहीदीन नेता जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे हैं। तालिबानी संगठन हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है सिराजुद्दीन हक्कानी। इसके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से अच्छा संपर्क है।

मुल्ला मोहम्मद याकूब
यह तालिबान के जनक मुल्ला उमर का बेटा है। यह लड़ाका दस्तों का लीडर है। यह फील्ड कमांडर है।

मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर
यह राजनीतिक विंग का मुखिया है। इसे अंतरिम सरकार में राष्ट्रपति पद का चेहरा माना जा रहा है। दोहा में अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते में भी इसी ने हस्ताक्षर किए थे।

याद दिला दें कि 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को तालिबान ने अमेरिका से बचाया था। हालांकि बाद में अमेरिका ने तालिबान को उखाड़ फेंका था। लेकिन अब जैसे ही अमेरिकी सेना वापस हुई, तालिबान फिर लौट आया।

बता दें कि 9/11 के हमले के बाद अमेरिका और नाटो की सेना ने अफगानिस्तान से तालिबानी शासन को उखाड़ फेंका था। उसने अफगानी सेना को ट्रेनिंग दी, लेकिन वो किसी काम नहीं आई। ये तस्वीर पाकिस्तान बॉर्डर की है, जहां लोग शरण मिलने की उम्मीद में भाग रहे हैं।

तालिबान के आते ही अफगानिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है। जिन लोगों ने तालिबान का क्रूर शासन झेला है, वे देश से निकलना चाहते हैं।

तालिबान का शासन अपने क्रूर निर्णयों के लिए जाना जाता है। शरिया कानून नहीं मानने वालों को सरेआम कोड़े मारना, कत्लेआम करना, गीत-संगीत पर पाबंदी, महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य आदि। यह तस्वीर काबुल में गृह मंत्रालय के बाहर की है, जहां तालिबानी लड़ाका खड़ा हुआ है।

तालिबान के राजनीति प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने अलजजीरा TV को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि जंग अब खत्म हो गई है। यानी हिंसा के बाद तालिबान शांति की पहल कर रहा है।

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