कोरोना वैक्सीन: सितंबर तक मार्केट में आ सकते हैं 2 अरब डोज

नई दिल्ली। ग्लोबल स्तर पर कोरोना संक्रमण 7 लाख 85 हजार से ऊपर जा चुका है। अब वैज्ञानिकों को यकीन हो चला है कि जब तक वैक्सीन न आ जाए, इस महामारी पर नियंत्रण आसान नहीं. यही वजह है कि लगातार दुनियाभर के देश वैक्सीन निर्माण में लगे हुए हैं. इसी बीच एक अच्छी खबर आ रही है। ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी AstraZeneca तेजी से वैक्सीन निर्माण में सफल दिख रही है. यूएस में भी कहा जा चुका है कि वे 2 अरब वैक्सीन डोज उतार सकते हैं, अगर सब कुछ ठीक रहा। जानिए, कहां-कहां वैक्सीन के मामले में उठाए जा रहे हैं कदम।

सबसे पहले भारत की बात करें तो हाल ही में ग्लोबल वैक्सीन समिट हुई। वर्चुअल तरीके से हुई इस समिट में शामिल 50 देशों में भारत भी था। यूके के पीएम बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में हुई इस समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बड़ी घोषणा की. इसके तहत 15 मिलियन डॉलर को देने की बात की गई। बता दें कि इंटरनेशनल वैक्सीन अलायंस है जो किसी भी महामारी पर रिसर्च और वैक्सीन तैयार करने से लेकर उसे जरूरतमंद देश तक पहुंचवाने का भी जिम्मा लेता है।

माना जा रहा है कि को दिए गए इस आर्थिक सहयोग से भारत के लिए वैक्सीन की कीमत भी घटेगी. जैसा कि खुद पीएम मोदी ने कहा कि देश में इसकी भारी जरूरत को देखते हुए ग्लोबल स्तर पर भी वैक्सीन की कीमत कम हो सकती है।

अब अगर वैक्सीन निर्माण के स्तर पर सफलता को देखें तो फार्मा कंपनी कोरोना वैक्सीन के निर्माण में सफल हो चुका है। वैक्सीन को फिलहाल नाम दिया गया है, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार हुई है। बीबीसी रेडियो से इस बारे में फार्मा कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव पास्कल सोरिअट ने बात की. पास्कल के मुताबिक फिलहाल ये माना जा रहा है कि कि उन्हें गर्मी के अंत तक पूरा डाटा मिल जाएगा. इससे सितंबर में ये तय हो सकेगा कि हमारे पास प्रभावी वैक्सीन होगी या नहीं।

AstraZeneca को वैक्सीन की कामयाबी की तरफ बढ़ता देखकर बहुत सी कंपनियां उससे वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने का करार कर चुकी हैं. इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी है. अगर प्रयोग सफल रहेगा तो भारत के साथ मिलकर कंपनी कम और मध्यम आय वाले देशों तक वैक्सीन पहुंचा सकेगा।

द इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अप्रैल में सैकड़ों लोगों पर कोरोना वैक्सीन का सफल ह्यूमन ट्रायल किया. इसी ट्रायल का अंतिम चरण अब होने जा रहा है, जो 10000 लोगों पर होगा. ये ट्रायल ब्राजील में जून के आखिर तक शुरू हो सकता है क्योंकि वहां पर फिलहाल कोरोना के कारण काफी मौतें हो रही हैं।

ट्रायल ब्राजील में जून के आखिर तक शुरू हो सकता है क्योंकि वहां पर फिलहाल कोरोना के काफी मामले आ रहे हैं।

अगर ये ट्रायल सफल रहा तो फार्मा कंपनी सबसे पहले यूएस को 400 मिलियन डोज और यूके को 100 मिलियन डोज देगी. इसके लिए पहले ही करार हो चुका है।

ऑस्ट्रेलिया में भी वैक्सीन का निर्माण काफी तेजी से आगे बढ़ा. यहां पर यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और फार्मा कंपनी CSL मिलकर काम कर रहे हैं. लैब में वैक्सीन के अच्छे रिपोर्ट मिले हैं और अब जुलाई में इसका ह्यूमन ट्रायल होने जा रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के मुताबिक पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए 120 लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. ये सफल रहा तो लगभग 1000 लोगों पर ट्रायल होगा।

अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ही दिनों पहले दावा किया कि उनके यहां 2 मिलियन कोरोना वैक्सीन के डोज बनकर तैयार हैं. और जैसे ही वैज्ञानिक इसे सेफ और प्रभावी बताएंगे, इसका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा. जापान और सिंगापुर में भी कोरोना के टीके पर तेजी से काम हो रहा है. माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों देश किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं. वैसे ये दोनों देश ही नहीं, कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए अभी दुनियाभर में 120 लैब्स में काम चल रहा है. इसमें से 10 ह्यूमन ट्रायल तक पहुंच चुके हैं।

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