पांच मिनट में ड्रोन से जम्मू एयर बेस कैंपस में हुए ब्लास्ट, छत में हुआ छेद, दो जवान घायल

नई दिल्ली। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में पांच मिनट में दो ब्लास्ट हुए। वारदात को 26-27 जून की रात को अंजाम दिया गया। पहला ब्लास्ट रात 1.37 बजे और दूसरा 1.42 बजे हुआ। डिफेंस पीआरओ के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हादसे में एयरफोर्स के दो कर्मचारी मामूली घायल हुए हैं।

छत पर हुआ पहला ब्लास्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहला धमाका एक इमारत की छत से 1:37 बजे हुआ जबकि दूसरा 1:42 बजे जमीन पर गिरा। ब्लास्ट के बाद सुरक्षा बलों ने कुछ ही मिनटों में इलाके की घेराबंदी कर दी। विस्फोट के कारणों का पता लगाने के लिए पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर है।
 

छत पर हुआ पहला ब्लास्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहला धमाका एक इमारत की छत से 1:37 बजे हुआ जबकि दूसरा 1:42 बजे जमीन पर गिरा। ब्लास्ट के बाद सुरक्षा बलों ने कुछ ही मिनटों में इलाके की घेराबंदी कर दी। विस्फोट के कारणों का पता लगाने के लिए पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर है।

आतंकी एंगल से इनकार नहीं है
एयरफोर्स के बाहर तलाशी अभियान शुरू किया गया है। जांच जारी है और मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है। आतंकी एंगल से इनकार नहीं किया गया है। एनआईए और एनएसजी की टीमें जल्द ही ब्लास्ट वाली जगह का दौरा करेंगी।

ब्लास्ट में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ
सूत्रों के मुताबिक, एयरफोर्स में ब्लास्ट कराने के लिए दो ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है। भारतीय वायुसेना का एक उच्च स्तरीय जांच दल जल्द जम्मू पहुंचेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू के वायु सेना स्टेशन पर आज की घटना के संबंध में वाइस एयर चीफ एयर मार्शल एच.एस.अरोड़ा से बात की। एयर मार्शल विक्रम सिंह स्थिति का जायजा लेने जम्मू पहुंच रहे हैं।

एयरफोर्स स्टेशन और बॉर्डर के बीच महज 14 किलोमीटर की दूरी है और ड्रोन के जरिए 12 किलोमीटर तक हथियारों को गिराया जा सकता है, ऐसे में शक है कि ड्रोन के जरिए ही विस्फोटक गिराए गए हैं। हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

आतंकी एंगल से इनकार नहीं है
एयरफोर्स के बाहर तलाशी अभियान शुरू किया गया है। जांच जारी है और मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है। आतंकी एंगल से इनकार नहीं किया गया है। एनआईए और एनएसजी की टीमें जल्द ही ब्लास्ट वाली जगह का दौरा करेंगी।

एयरफोर्स स्टेशन और बॉर्डर के बीच महज 14 किलोमीटर की दूरी है और ड्रोन के जरिए 12 किलोमीटर तक हथियारों को गिराया जा सकता है, ऐसे में शक है कि ड्रोन के जरिए ही विस्फोटक गिराए गए हैं। हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

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