एक दरोगा ऐसा: जिसने ढाई साल से वेतन नहीं निकाला, सर्विस में 60 लाख वेतन मिला, 50 लाख की संपत्ति …..

पटना। अवैध बालू खनन में डोरीगंज (सारण) के तत्कालीन थानाध्यक्ष संजय प्रसाद के दो ठिकानों पर इओयू (आर्थिक अपराध इकाई) ने मंगलवार को छापेमारी की। टीम ने ये छापेमारी पश्चिम चंपारण के साठी थाने के समहौता गांव स्थित उनके पैतृक आवास और मुजफ्फरपुर के काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र में उनके किराए के फ्लैट में की। संजय 2009 बैच के दारोगा हैं और उनके पास 49.64 लाख रुपए से ज्यादा की संपत्ति मिली है, जो इनकी आय के स्रोतों से 24.82 लाख रुपए अधिक है।

संजय 30 जून 2009 को दारोगा के पद पर नियुक्त हुए। वे मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और सारण जिले में पदस्थापित रहे हैं। ईओयू के मुताबिक, वेतन मद में इन्हें करीब 60 लाख रुपए प्राप्त हुए है, जबकि इनके पास 49 लाख 64 हजार 914 रुपए की चल-अचल संपत्ति पाई गई। इनका अनुमानित व्यय 35 लाख 18 हजार 030 रुपए पाया गया। संजय प्रसाद के आय के ज्ञात स्रोतों से 24 लाख 82 हजार 944 रुपए अधिक की संपत्ति पाई गई है, जो कि आय से 41 प्रतिशत अधिक है।

बीमा पॉलिसी में 11.24 लाख का निवेश
सर्च के दौरान मुजफ्फरपुर के छपरा लोदी माड़ीपुर में 1725 वर्गफुट प्लॉट के पेपर मिले हैं। इसे उन्होंने 29.80 लाख में पत्नी के नाम पर खरीदा है। यहां से 2.30 लाख कैश भी मिला है। इसके अलावा आधा दर्जन बैंक खातों के कागजात मिले हैं, जो इनके व पत्नी के नाम पर हैं। इनमें 7.10 लाख रुपये जमा हैं। बीमा पॉलिसियों में उन्होंने करीब 11.24 लाख रुपये निवेश कर रखा है। एक बुलेट व एक ग्लैमर बाइक भी इनके नाम पर हैं।

ईओयू ने बताया कि संजय और उनकी पत्नी के बैंक खातों में 7.10 लाख रुपए जमा हैं। इसके अलावा जांच में पाया गया कि पदस्थापन वाले जगहों पर उन्होंने न सिर्फ नगद राशि स्थानीय लोगों से अपने बैंक खाते में लिया, बल्कि कई लोगों को नगद रकम देकर पहले उनके बैंक खातों में जमा करवाया और फिर अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। ईओयू उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की कार्रवाई कर रही है।

जानबूझ कर कम दिखाते थे खरीदारी सम्पत्ति की कीमत
संजय ने अपनी पत्नी के नाम पर मुजफ्फरपुर के काजी मोहम्मदपुर थानाक्षेत्र के माड़ीपुर में 1725 वर्गफीट की जमीन खरीदी है। इसकी कीमत 29.80 लाख रुपए दिखाई गई है, लेकिन तलाशी के दौरान मुजफ्फरपुर स्थित घर से इसी भूखंड की खरीदारी में खर्च किए गए 71 लाख रुपए के दस्तावेज जब्त किए गए। ईओयू का मानना है कि जमीन के निबंधन में कम मूल्य दर्शाया गया है।

 

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