इंसानी मांस खाने वाले पिशाच के डर से इस गांव में लगा लॉकडाउन, चंद दिनों में उठी चार अर्थियां

अमरावती। आंध्र प्रदेश के एक गांव में पूर्ण लॉकडाउन लगा है। चंद दिनों में चार अर्थियां उठने के बाद लोगों के दिलों में पिशाच (इंसानी मांस खाने वाले राक्षस) का डर बैठ गया है। लोगों का कहना है कि पिशाच गांव में घात लगाए बैठे हैं। इसके डर से गांव के लोगों ने खुद से ही लॉकडाउन लगा दिया है। लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं। यहां तक कि सरकारी ऑफिसों में भी ताला लगा दिया गया था।

आंध्र प्रदेश के वेनेलावलास गांव में एक महीने के भीतर चार लोगों की रहस्यमय मौत हुई है। लोगों का मानना है कि इन मौतों के लिए पिशाच जिम्मेदार हैं। लोगों ने पिशाच के डर से लॉकडाउन लगा दिया। गांव में सरकारी कार्यालय भी बंद कर दिया गया था। गांव में किसी बाहरी व्यक्ति के आने की अनुमति नहीं है। बाहरी लोगों को आने से रोकने के लिए फेंस लगा दिया गया है। यहां तक कि स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र भी बंद थे। सरकारी कर्मचारियों, चिकित्सा कर्मचारियों और शिक्षकों को भी गांव में आने की अनुमति नहीं थी।

यह गांव श्रीकाकुलम जिले के सरबुजजीली मंडल में स्थित है। यह ओडिशा की सीमा के पास है। ग्रामीणों का मानना है कि लॉकडाउन दुष्ट आत्माओं के खिलाफ काम करेगा। स्थानीय लोगों के मुताबिक गांव के कुछ लोग पिछले कुछ दिनों से बुखार से पीड़ित हैं और चार लोगों की मौत पहले ही हो चुकी है। ग्रामीणों का मानना है कि गांव में बुरी आत्माएं घात लगाए बैठी हैं। उनके चलते ही लोगों की मौतें हुईं हैं। गांव के बुजुर्गों ने ओडिशा और पड़ोसी विजयनगरम जिले के पुजारियों से परामर्श किया है, जिन्होंने लॉकडाउन का सुझाव दिया है। पुजारी की सलाह पर लोगों ने गांव के चार दिशाओं में नींबू लगाए और 17 से 25 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया।

लोगों ने गांव की ओर जाने वाली सड़क को बंद कर दिया। एक चेतावनी वाला पोस्टर लगाया गया है कि बाहरी लोगों को गांव में आने की अनुमति नहीं है। गांव में रहने वाले लोगों को भी घर नहीं छोड़ना है। यह घटना आंध्र प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है। कुछ लोग लॉकडाउन और बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश बंद करने पर सवाल उठा रहे हैं तो कुछ गांव वालों के फैसले का समर्थन कर रहे हैं। पुलिस समेत स्थानीय अधिकारियों ने गांव का दौरा किया ताकि आंगनवाड़ी केंद्र, स्कूल और गांव सचिवालय को खोलने की अनुमति दी जाए। बातचीत के बाद गांव के लोगों ने सरकारी काम जारी रखने की अनुमति दी है।

 

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