जन्म कुंडली के चार योग व्यक्ति को जीवन भर बनाए रखते हैं गरीब और परिवारहीन

यूनिक समय, मथुरा। ज्योतिषचार्य पं. अजय कुमार तैलंग ने बताया कि ऐसे चार योग हैं यूप, शर, शक्ति और दंड योग। ये चारों योग केंद्र स्थान प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थान से आगे से चार स्थानों में सभी ग्रहों के स्थित होने पर बनता है। इस संबंध में एक श्लोक है

लग्नादिकण्टकेभ्यश्चतुग्र्रहावस्थितैग्र्रहैर्योगा:।
यूपेषुशक्तिदण्डा वज्रादीनां फलान्यस्मात् ।।

अर्थात-लग्न से लगातार चार स्थान 1, 2, 3, 4 में यदि सभी ग्रह बैठे हों तो यूप योग बनता है। चतुर्थ स्थान से लगातार चार स्थान 4, 5, 6, 7 में सभी ग्रह हों तो इषु या शर योग बनता है। सप्तम स्थान से लगातार चार स्थान 7, 8, 9, 10 में सभी ग्रह हों तो शक्ति योग तथा दशम से लगातार चार स्थानों 10, 11, 12, 1 में सभी ग्रह आ जाएं तो दण्डयोग बनता है।

इन योगों का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में यूप योग होता है वह बड़े दानी किस्म का होता है। ऐसे व्यक्ति को त्यागी कहना ज्यादा उचित होगा। यह अपना सर्वस्व दूसरों पर लुटा बैठता है और अंत में इसके पास कुछ नहीं बचता है।
जिस व्यक्ति की कुंडली इषु या शर योग होता है ऐसा व्यक्ति हिंसक होता है।
ऐसा व्यक्ति किसी की नहीं सुनता और स्वयं की चलाता रहता है। यह मरने-मारने से नहीं डरता।
जिस व्यक्ति की कुंडली में शक्ति योग होता है वह दरिद्र होता है। इसके पास धन का अभाव सदा बना रहता है। ऐसे व्यक्ति को यदि भरपूर पैतृक संपत्ति मिल जाए तो भी यह उसे नष्ट कर देता है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में दण्ड योग होता है वह बंधुओं से रहित होता है। अर्थात् ऐसे व्यक्ति के भाई-बहन, स्वजन साथ नहीं होते हैं। ऐसा व्यक्ति परिवारविहीन होता है। कोई होता भी है तो साथ नहीं देता। अकेले जीवन व्यतीत करना पड़ता है।

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