यूपी में गंगाजल की गुणवत्ता और खराब हुई, राज्य में कहीं भी पीने योग्य नहीं

dirty-ganga

लाख प्रयासों के बाद भी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के जल की गुणवत्ता सुधरने के बजाय और खराब होती जा रही है। धार्मिक नगरी कही जाने वाली वाराणसी समेत राज्य में कहीं भी गंगाजल शोधन के बगैर पीने योग्य नहीं है। सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर, कानपुर, फरूखाबाद, कन्नौज समेत 17 जगहों पर गंगाजल की गुणवत्ता सबसे खराब यानी ‌डी श्रेणी है। इस श्रेणी का जल सिर्फ वन्य जीवों और मतस्य पालन के लिए उपयुक्त होता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई में गठित ओवर साइट समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष रिपोर्ट पेश की गई। सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस एस.वी.एस. राठोर की अगुवाई वाली समिति ने रिपोर्ट में कहा, गंगाजल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए हर माह 30 जगहों से नमूने लेकर जांच की जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जांच रिपोर्ट का हवाला देते पीठ को बताया कि पिछले साल नवंबर की तुलना में अगस्त 2022 में गंगाजल की गुणवत्ता काफी खराब है। राज्य में एक भी जगह पर गंगाजल की गुणवत्ता-ए श्रेणी में नहीं मिली है। तीन जगह बी श्रेणी, 10 जगह सी और 17 स्थानों पर डी श्रेणी मिली है। पिछले साल नवंबर की तुलना में अगस्त, 2022 में सात जगह गुणवत्ता सी श्रेणी से डी श्रेणी में चली गई, यानी और खराब हो गई।

ये हैं दूषित होने की वजह

समिति ने नालों की टैपिंग और सीवेज शोधन सयंत्र (एसटीपी) के निर्माण कार्य में देरी को प्रमुख वजह बताया है। कहा है कि गंगा में प्रदेश में 301 नालों गिरते हैं। इनमें से 156 नालों से दूषित पानी शोधन के बगैर ही बहाया जा रहा है। 71 नालों को टैपिंग के लिए योजना बनाने और मंजूरी देने का काम भी लटका है। करीब 2587 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उचित तरीके से शोधन की बाट जोह रहा है।

जल की श्रेणियां

ए : इसके तहत जल का इस्तेमाल पारंपरिक शोधन के बगैर संक्रमणमुक्त करके पीने योग्य होता है।
बी : यह पानी नहाने योग्य होता है।
सी : शोधन के बाद पानी को संक्रमणमुक्त करने पीने योग्य बनाया जा सकता है।
डी : यह पानी सिर्फ वन्य जीवों और मछली पालन के लिए उपयुक्त होता है।

5500 मिलियन लीटर सीवेज राज्य में निकलता है।

114 एसटीपी हैं, जिनकी क्षमता 3500 एमएलडी सीवेज शोधन करने की है, लेकिन 3000 एमलडी शोधन किया जा रहा है।
56 एसटीपी का निर्माण चल रहा है। 35 का काम शुरू होने के लिए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया है।

कहां से कितने नमूने लिए

‌वाराणसी :  01
बिजनौर :    03
गाजीपुर :   02
कानपुर :    07
कन्नौज :    02
हापुड़ :    02
बुलंदशहर :  03
फरूखाबाद :  01
बदायूं :    01
प्रतापगढ़ : 01
सोनभद्र :   01
मिर्जापुर :       02
प्रयागराज : 03
कौशांबी :   01

किस श्रेणी में कितने नमूने मिले

ए :   00
बी :  03
सी :  10
डी :  17

कई गुणा तक मल-जल बैक्टीरिया

100 मिली लीटर स्वच्छ जल में 50 एमएनपी तक कैलिफार्म बैक्टीरिया होना चाहिए।
गंगाजल में 21333 एमएनपी तक कैलिफार्म बैक्टीरिया मिला।

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