गाजियाबाद केस: Twitter इंडिया के MD ने बयान देने से की आनाकानी, पुलिस एक और नोटिस भेजेगी

नई दिल्ली। यूपी के गाजियाबाद जिले के लोनी में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई को बेवजह हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश का मामला जैसे-जैसे जांच में आगे बढ़ रहा है, सोशल मीडिया कंपनियों की लापरवाही भी उजागर हो रही है। इस मामले में पुलिस ने ट्वीट इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वर को नोटिस भेजकर लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में अपने बयान दर्ज कराने को कहा था। उन्हें 7 दिन का समय दिया गया था। लेकिन वे नहीं आए। उनके जवाब से भी पुलिस संतुष्ट नहीं है।

पुलिस के नोटिस का जवाब देते हुए ट्वीटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी ने कहा कि वे इस तरह के मामले डील नहीं करते। इस विवाद से उनका कोई देना नहीं है। हालांकि वे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये जांच से जुड़ सकते हैं और अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। हालांकि पुलिस उनकी बात से सहमत नहीं है और दुबारा नोटिस भेजा जा रहा है।

पुलिस ने 17 जून को भेजे नोटिस में ट्विटर इंडिया के एमडी को 7 दिन के अंदर लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन को अपना बयान दर्ज कराने को कहा था। नोटिस में कहा गया कि ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया और ट्विटर INC के जरिए कुछ लोगों ने अपने ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल करके समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की। लेकिन कंपनी ने इन्हें रोकने कोई संज्ञान नहीं लिया। गाजियाबाद ग्रामीण इराज राजा ने कहा-ट्विटर इंडिया के हेड मनीष माहेश्वरी को विवेचना में सहयोग करने के लिए उपस्थित होने के लिए कल मेल किया गया। उनसे कई और जान​कारियां मेल के माध्यम से मांगी गई हैं। बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले में लगभग 99% गिरफ़्तारी कर ली गई है।

सोशल मीडिया कंपनियां पुलिस के सवालों का कभी कोई जवाब नहीं देती हैं। चूंकि केंद्र सरकार की नई सोशल मीडिया गाइड लाइन आ चुकी है, लिहाजा अब कंपनियां जवाब देने लगी हैं, लेकिन रवैया अभी भी ठीक नहीं है। गाजियाबाद पुलिस का दावा है कि वो दूसरे अन्य मामलों में एक साल में ट्वीट को 26 मेल कर चुकी है, लेकिन किसी का जवाब नहीं दिया। ये मेल 15 जून 2020 से 15 जून 2021 के बीच भेजे गए थे। इसमें फेसबुक को 255 मेल हुए। जवाब 177 मिला। इंस्टाग्राम को 62 मेल किए, जवाब 41 का मिला। वॉट्सऐप 58 मेल भेजे गए, जिनमें से 28 का ही जवाब आया। दूसरी समस्या एक यह भी है कि कंपनियां जवाब देने में तीन महीने तक लगा देती हैं।

गाजियाबाद जिले के लोनी में एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ हुई मारपीट को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करने वालों पर योगी सरकार कड़े एक्शन में आई है। गाजियाबाद पुलिस ने दो कांग्रेस नेताओं, पत्रकारों सहित 9 लोगों पर FIR दर्ज की है। इस मामले में twitter और फेसबुक को भी नोटिस भेजा गया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया गया था, जिसमें एक मुस्लिम बुजुर्ग को पीटते दिखाया गया था। उसकी दाढ़ी काट दी गई थी। इसमें मारपीट करने वालों को दूसरे धर्म का बताकर इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी।

गाजियाबाद पुलिस ने तर्क दिया कि लोनी की घटना का कोई सांप्रदायिक पक्ष नहीं है। यह आपसी झगड़े की वजह है। इस मामले को बिना सोचे-समझे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। इस मामले में twitter सहित द वायर, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, स्लैमन निजामी पर शांति भंग करने के लिए भ्रामक संदेश फैलाना की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस ने कहा कि ट्विटर ने twitter ने इस फेक वीडियो को वायरल होने से रोकने कोई एक्शन नहीं लिया। बता दें कि राणा अय्यूब और सबा नकवी जर्नलिस्ट हैं। वहीं, जुबैर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के लेखक हैं। डॉ. शमा मोहम्मद और निजाम कांग्रेस नेता हैं। उस्मानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। ये पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार थे।

FIR में लिखा गया है कि इस वीडियो में कुछ शरारती तत्वों द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी को पीटते हुए जबर्दस्ती दाढ़ी काटते हुए दिखाया गया था। आगे यह भी आरोप है कि पीटने वाले हिंदू समाज से हैं। वे समद से जबरन जयश्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगवाना चाहते थे। इस वीडियो को दुर्भावना से twitter पर प्रचारित किया गया।

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