जीएलए: सिविल इंजीनियरिंग की ओर बढ़ा छात्रों का रूख

 कंस्ट्रशन कंपनियों की मांग के अनुसार छात्रों को तैयार कर रहा है जीएलए

मथुरा। आज देश प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहा है। बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी विकास की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। रियल एस्टेट के कारोबार में आई चमक ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को रोशन किया है। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र ‘सिविल इंजीनियि​रिंग’ भी है। इस और बढ़ते हुए कद को देखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में बीटेक सिविल इंजीनियरिंग की ओर छात्रों का रूख बढ़ा है। प्रवेश प्रक्रिया में तेजी देखने को मिल रही है तो दूसरी तरफ यहां से सिविल इंजीनियरिंग किए हुए छात्र कंस्ट्रशन कंपनियों में नए रिसर्च कर यात्रियों के लिए राह सुगम बना रहे हैं।
विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर गोयल ने बताया कि जब भी कोई योजना बनती है तो उसके लिए पहले प्लानिंग, डिजाइनिंग व संरचनात्मक कार्यों से लेकर रिसर्च एवं सॉल्यूशन तैयार करने का कार्य किया जाता है। यह कार्य किसी सामान्य व्यक्ति से न कराकर प्रोफेशनल लोगों से ही कराया जाता है, जो सिविल इंजीनियरों की श्रेणी में आते हैं। यह पूरी पद्धति ‘सिविल इंजीनियरिंग’ होती है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षित लोगों को किसी प्रोजेक्ट, कंस्ट्रक्शन या मेंटेनेंस के ऊपर कार्य करना होता है। साथ ही इस कार्य के लिए उनकी जिम्मेदारी भी तय होती है। ये स्थानीय अथॉरिटी द्वारा निर्देशित किए जाते हैं। किसी भी प्रोजेक्ट एवं परियोजना की लागत, कार्य-सूची, क्लाइंट्स एवं कांट्रेक्टरों से संपर्क आदि कार्य भी सिविल इंजीनियरों के जिम्मे होता है।
उन्होंने बताया कि जीएलए विश्वविविद्यालय, मथुरा के सिविल इंजीनियरिंग के एक दर्जन से अधिक छात्रों का चयन स्काईलार्क इंडिया में हो चुका है। जो कि चार धाम की यात्रा का सुगम बनाने के लिए रेलवे लाइन सर्वे पर तेजी से कार्य कर रहे हैं और इसके अलावा भी कई सारे कंट्रक्शन कार्य जैसे पुल निर्माण, सड़कों की रूपरेखा, एयरपोर्ट, ड्रम, सीवेज सिस्टम आदि को अपने कौशल द्वारा आगे ले जाने का कार्य कर रहे हैं। तो वहीं दर्जनों छात्रों ने विदेषी कंपनियों की ओर रूख कर कंस्ट्रक्षन की ओर नए रिसर्च कर आयाम स्थापित किए हैं।
चार धाम यात्रा के लिए रेलवे लाइन पर कार्य करने वाली कंपनी स्काईलार्क में चयनित हुए बीटेक सिविल इंजीनियरिंग के छात्र दीपक सिंह ने बताया कि सिविल इंजीनयिरिंग विभाग की प्रयोगशालाओं से बेस्ट टेलैण्ट मिला है। सीएडी लैब, पर्यावरण लैब, संरचना विष्लेशण आदि प्रयोगषाला में विभिन्न प्रोजेक्ट ‘‘मूविंग वेड वायो फिल्म रियेक्टर (एमबीबीआर) व एक्टिवेटेड स्लज प्रोसेस (एएसपी)‘‘ पर बारीकी से कार्य करने का मौका दिया गया। उन्होंने बताया कि सिविल विभाग में स्थापित प्रयोगशालाओं में छात्रों को शिक्षकों द्वारा आगे बढ़ने का ज्ञान बारीकी से दिया जाता है। प्रयोगषालाओं से मिले ज्ञान के अनुसार आज यह मुकाम हासिल हुआ है।
रोजगार के मिल रहे हैं अवसर
प्रो. गोयल ने बताया कि एक सिविल इंजीनियर को सरकारी विभाग, प्राइवेट और निजी क्षेत्र की इंडस्ट्री, शोध एवं शैक्षिक संस्थान आदि में काम करने का अवसर प्राप्त होता है। अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा इसमें संभावनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसका प्रमुख कारण रियल एस्टेट में आई क्रांति ही है। इसके चलते हर जगह बिल्डिंग, शॉपिंग, मॉल, रेस्तरां आदि का निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी यूनिट को रिपेयर, मेंटेनेंस से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का कार्य करते हैं। बीटेक के बाद रोड प्रोजेक्ट, बिल्डिंग वक्र्स, कन्सल्टेंसी फर्म, क्वालिटी टेस्टिंग लेबोरेटरी या हाउसिंग सोसाइटी में अवसर मिलते हैं। केन्द्र अथवा प्रदेश सरकार द्वारा भी काम के अवसर प्रदान किए जाते हैं।

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