जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से हालात काबू में हैं। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने रमजान के महीने में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशनों को रोकने का ऐलान करते हुए एकतरफा संघर्षविराम का ऐलान किया था। अब घाटी में इसके परिणाम अच्छे दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों की भावनाओं में भी लगातार तब्दीली आ रही है, जो कि घाटी के लिए एक अच्छा संकेत है।एक अधिकारी के मुताबिक रमजान के दौरान सुरक्षा बलों ने एक भी सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया और न ही किसी रिहायशी इलाके को खाली करवाया। इसका परिणाम यह हुआ कि सुरक्षाबलों और सिविलियंस में कोई झड़प नहीं हुई। आपको बता दें कि पिछले 4 हफ्तों से पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 फीसद तक की कमी आई है। गौरतलब है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के साथ-साथ राजनीतिक नेतृत्व में भी इस बात को लेकर बहस चल रही है कि रमजान में लागू किए गए संघर्षविराम को और आगे बढ़ाया जाए। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों के घुसपैठ जारी रहने को देखते हुए सरकार इस मूड में है कि सेना और अन्य एजेंसियां किसी खास जगह पर आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना पर पहले की तरह कार्रवाई करें।भारी हथियारों से लैस आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान संबंधित इलाके की बिजली और पानी की सप्लाइ काट दी जाती है ताकि बहुत ज्यादा बल प्रयोग से होने वाली ‘अवांछित’ मौतों से बचा जा सके। हालांकि इससे स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। ऐंटी-टेरर ऑपरेशन को सस्पेंड करने को लेकर अंतिम फैसला अभी लिया जाना बाकी है लेकिन सूत्रों का कहना है कि बहुत संभव है कि संघर्षविराम को और आगे बढ़ाया जाए। अगर पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की तरफ से अगले कुछ दिनों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ तो संघर्षविराम को रमजान के बाद भी जारी रखा जा सकता है।
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