कोविड-19 संक्रमितों में कितना अलग दिखाई दे रहा है प्रतिरोध

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी का नया स्वरूप बहुत खतरनाक नतीजे दे रहा है। भारत में तो कोरोना वायरस का नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है. बताया जा रहा है कि इस वायरस ने अब प्रतिरोधी क्षमताओं को चकमा देने के नए तरीके खोज लिए हैं। वायरस के बदले स्वरूप और उसके प्रभावों पर शोधकार्य भी जारी है। इसी बीच यूके में हुए शोध ने इस वायरस के खिलाफ तीन अलग तरह के प्रतिरोधी अनुक्रिया यानि इम्यून रिस्पॉन्स की पहचान की है जो बिना लक्षणों वाले संक्रमितों से लेकर गंभीर संक्रमण वाले मरीजों में पाए गए हैं।

अलग लोगों पर अलग असर
कोरोना वायरस के नए रूप सार्स कोव-2 के वेरिएंट्स ने वैज्ञानिकों को ज्यादा परेशान किया है, लेकिन उससे पहले ही हमारे वैज्ञानिक इस बात से हैरान थे कि यह कोरोना वायरस अलग अलग लोगों पर बहुत ही अलग स्तरों के असर पैदा करता है। वेलकम सैन्जर इंस्टीट्यूट, न्यूकासल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, ईएमबीएलके यूरोपीयन बायोइंफोर्मैकिट्स और उनके साथ ह्यूमन सेन एटलस इनिशियेटिव के साथियों ने यह अध्ययन किया है।

प्रतिरोधी कोशिकाओं का स्तर बढ़ा
नेचर मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन संक्रमितों में लक्षण दिखाई नहीं देते, उनमें प्रतिरोधी कोशिकाओं का स्तर बढ़ा हुआ रहता है. शोधकर्ताओं ने यह भी दर्शाया कि ज्यादा गंभीर हालत वाले मरीजों में हर तरह सुरक्षा कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं, लेकिन जलन पैदा करने वाली कोशिकाएं बढ़ जाती हैं।

अपने तरह का पहला अध्ययन
प्रतिरोधी अनुक्रिया में ये अंतर फेफड़ों में जलन और खून का थक्का जमने जैसे गंभर लक्षणों की व्याख्या कर सकते हैं और कारगर उपचार विकसित करने के लिए सक्षम लक्ष्य की पहचान करने मे मददगार हो सकते हैं. यह एकमात्र ऐसा अध्ययन है जिसमें अलाक्षणिक यानि असिम्प्टोमैटिक संक्रमितों को शामिल किया गया है।

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प्रतिरोध की अनुक्रिया
बड़े पैमाने पर हुए इस अध्ययन में इंसान की हर प्रकार की कोशिका को शामिल किया गया जिससे स्वास्थ्य, संक्रमण और बीमारी के बदलावों के बारे में समझ विकसित हो सके। इस संक्रमण में लक्षण बहुत विविधता भरे होते हैं जिसमे हलकी खांसी से लेकर गंभीर श्वसन विकार, खून का थक्का जमना और अंगों की नाकामी शामिल है। इससे पहले के बहुत से अध्ययन में खून के जटिल प्रतिरोधी अनुक्रिया को रेखांकित कर रहे थे। लेकिन अब तक संपूर्ण प्रतिरोधी अनुक्रिया और लाक्षणिक एवं अलाक्षणिक मरीजों में यह कैसे अंतर करता है, इसका विस्तार से अध्ययन नहीं हुआ था।

गहराई से अध्ययन
नए अध्यनय में शोधकर्ताओं की बड़ी टीम ने 130 कोविड-19 मरीजों के खून का विश्लेषण किया जो यूके न्यूकासल, कैम्ब्रिज और लंदन के सेंटर के थे. इनमें गंभीर और अलाक्षणिक दोनों तरह के मरीज शामिल थे। टीम ने प्रतिरोधी कोशिकाओं में कोशिका की सतह के प्रोटीन और एंटीजन रिसेप्टर्स का विस्तार से विश्लेषण करते हुए करीब 8 लाख प्ररतिरोधी कोशिकाओं की सिंगल सेल सीक्वेंसिंग की।

कैसे कोशिकाओं ने की वृद्धि
अलाक्षणिक संक्रमितों में शोधकर्ताओं ने बी प्रकार की कोशिकाओं का स्तर ज्यादा पाया जो एंटीबॉडी बनाती हैं. जबकि ये कोशिका गंभीर मरीजों में नहीं थी। गंभीर मरीजों को जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, उनमें मोनोसाइट्स और घातक टी कोशिकाएं ज्यादा पाई गई थीं जो फेफड़ों में जलन पैदा करती है. इन मरीजों में खून का थक्का जमाने वाले प्लेटलेट्स पैदा करने वाली कोशिकाओं का स्तर भी ज्यादा था।

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