‘मैं धारक को… रुपये अदा करने का वचन देता हूं’, हर नोट पर क्यों लिखा होता है ऐसा?

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हर देश की अर्थव्यवस्था में उसकी मुद्रा की बड़ी भूमिका होती है और उसमें उसके द्वारा चलाए जा रहे है बैंक नोट का भी अपना अलग ही महत्व होता है. देश की सरकार यह सनुश्चित करती है कि बाजार में नोटों का चलन बना रहे और बाजार में नोटों की कमी नहीं हो.इसके लिए सरकारें भी समय समय पर नए नोट जारी करती है. भारत की नोटों पर एक वाक्य देखने को मिलता है, “मैं धारक को सौ (या जो भी अंक का नोट हो उतने) रूपये अदा करने का वचन देता हूं” लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस वाक्य का अर्थ क्या होता है और ऐसा नोटों पर क्यों लिखा जाता है.

किसी भी देश में नोट इस तरह के छापे जाते हैं कि उनकी प्रतिलिपी बना कर नकली नोट चलाना बहुत ही मुश्किल हो नहीं तो बाजार ने में नकली नोट पूरी अर्थव्यवस्था तक ठप्प कर सकते हैं. इसके लिए नोट जारी करने वाला सरकार का केंद्रीय बैंक , जो भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है, कई तरह के तरीके और संकेतों का उपयोग करता है जिससे नोट की हूबहू नकल बनाना नामुमकिन बन सके.

इसके लिए खास तरह के कागज और स्याही के अलावा से लेकर नोट में खास तरह का धागा, चमकीली रंग बदलती पतली पट्टी बहुत ही जटिल डिजाइन को नोट की छपाई में शामिल किया जाता है जिससे कि ना केवल नकली नोट बनाना असंभव हो जाए बल्कि असली और नकली की पहचान करना आसानी से संभव हो सके.

लेकिन भारत के नोटों पर जिन्हें जारी करने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की है, एक खास वाक्य भी लिखा रहता है. सौ के नौट पर लिखा होता है कि “मैं धारक को सौ रुपये अदा करने का वचन देता हूं.” इसी तरह इस अलग अलग नोटों में उसके मूल्य की संख्या का नाम बदलता रहता है बाकी वाक्य यही रहता है और इस नोट के नीचे आरबीआई के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं.

इस वाक्य का अर्थ इस बात की पुष्टि करता करता है कि उस कागज के टुकड़े का वास्तविक मूल्य की पुष्टि खुद रिजर्व बैंक का गवर्नर कर रहा है जो इस बात की गारंटी होती है कि बैंक के पास उसी मूल्य का सोना संचित रखा है और नोट का मतलब यही है कि उसके पास उसी सोने का उतना ही मूल्य है. वास्तव में यह नोट की कीमत दर्शाने की पुष्टि वाक्य होता है.

आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर इस वाक्य की वैधता को दर्शाता है. यह हस्ताक्षर उसी गवर्नर के होते हैं जिसके कार्यकाल में नोट जारी होता है. यानि अगर आपको पता है कि उस गवर्नर कार्यकाल कब से कब तक था, आपको पता चल सकता है कि अमुक नोट किस काल में जारी हुआ था. वैसे आजकल के नोटों पर उनके जारी होने का वर्ष भी लिखा होता है.

इसके अलावा हर नोट पर भारतीय रिजर्व बैंक के नीचे केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत और अंग्रेजी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नीचे गारंटीड बाय द सेंट्रल गवर्नमेंट भी लिखा होता है. यानि एक तरह से नोट के मूल्य की गारंटी केंद्र सरकार की तरफ से भी होती है. सारी बातें और सारे संकेत नोट को सामान्य कागज से एक विशेष कागज यानि मुद्रा में बदल देती हैं जो पहले केवल सिक्कों के साथ होता था.

कम लोगों ने ध्यान दिया है की हर नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते हैं. एक रूपये के नोट की कहानी अलग होती है. इस नोट पर रिजर्व बैंक का नाम तक नहीं होता है औरइसे जारी भी रिजर्व बैंक नहीं बल्कि भारत सरकार करती है. इस नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं. आजकल इस तरह के नोट छपना बंद हो गए हैं, लेकिन वे चलन से बाहर बिलकुल नहीं हुए हैं.

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