याराना हो तो ऐसा: भोपाल की दोस्ती की बन रही है मिसाल

44 दोस्तों ने एक ही दिन में 11 लाख एकत्रित करके चुकाया कर्ज

‘मेरी जिंदगी सवारी मुझको गले लगाके’

महेश वाष्र्णेय
यूनिक समय, मथुरा/ भोपाल। तेरा जैसा यार कहां। कहां ऐसा यराना। याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना। मेरी जिंदगी सवारी मुझको गले लगाके बैठा दिया,फलक पे मुझे खाक से उठाके। 1981 में आई फिल्म याराना के गाने की यह पक्तियां एक बिजनेसमैन पर सटीक बैठ रही है।
व्यापार में घाटे होने के कारण एक बिजनेसमैन की हालात क्या हो गयी। यह तो वह ही समझ सकता है, किंतु बुरी तरह से टूट चुके बिजनेसमैन के दोस्तों ने जो साथ निभाया, वह हर किसी के प्रेरणास्त्रोत बन गया। इंदौर (मध्य प्रदेश) के जीएसआईटीएस कालेज के 44 दोस्तों ने एक ही दिन में 11 लाख रुपये एकत्रित कर बैंक लोन चुकता कर दोस्त को बचा लिया। यह सभी दोस्त वर्ष 1992 में एक साथ पढ़े थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह वाक्या 29 जून को भोपाल में हुआ बताया जा रहा है। 1992 बैच के नागदा निवासी पंकज मरु के मुताबिक उनके बैच में करीब 300 स्टूडेंट्स थे। उसमें भोपाल का एक युवक कृष्णा ‘परिवर्तित नाम’ भी पढ़ता था। उस बैच के स्टूडेंट और अब आस्टे्रलिया में रहने वाले अशोक गुप्ता को अपने साथी के बिजनेस में घाटा होने की खबर मिली, वह पंजाब नेशनल बैंक का एक करोड़ आठ लाख का लोन चुकाने के लिए अपनी फैक्टरी बेच चुका है। मकान भी बैंक में गिरवी रखा हुआ है। बैंक ने लोन न चुकाने पर 30 जून तक मकान को कुर्क करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। दोस्त को संकट में देख अशोक गुप्ता के मन में आर्थिक मदद करने का विचार आया। उसने व्हाटस एप पर 26 जून को कालेज के हॉस्टल में एक साथ पढ़ने वाले 51 दोस्तों को हैल्प कृष्णा ग्रुप के नाम से ग्रुप बनाकर मदद करने का अनुरोध किया। यह मैसेज मिलते ही दोस्त सक्रिय हो गए और 44 दोस्तों ने 11 लाख रुपये एकत्रित कर बैंक में जमा करा दिए। सभी ने बिना सवाल किए 25-25 हजार रुपये दिए। बैंक के अधिकारियों द्वारा दी गई मोहलत से पहले 29 जून को मकान के कागज रिलीज करा लिये। कृष्णा ने सोचा भी नहीं था कि दोस्त उसके लिए भगवान बनकर आएंगे। अशोक गुप्ता ने व्हाटस एप में दोस्तों को आगाह कर दिया कि वह यह सवाल नहीं करेंगे कि कृष्णा की हालात ऐसे कैसे हो गयी। बताया जा रहा है कि इस कार्य में भोपाल के रहने वाले पंकज श्रीवास्तव और अपूर्व तिवारी की भूमिका सहारनीय रही। इन दोनों ने ही बैंक अधिकारियों को 17 लाख रुपये के स्थान पर 11 लाख रुपये के सेलटमेंट पर राजी कर लिया। दोस्ती की इस मिसाल की अब जगह चर्चा हो रही है।

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