सन् 1996 में तालिबान ने तत्कालीन अफगानी राष्‍ट्रपति को मारकर बिजली के खंभे से लटकाया था…

नई दिल्‍ली। तालिबान के लड़ाकों ने अब राजधानी काबुल पर कब्‍जा करने के साथ ही पूरे अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा जमा लिया है। अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी समेत अन्‍य राजनीतिक व्यक्ति देश छोड़कर भाग गए हैं। इस बीच अफगानिस्‍तान में दहशत का माहौल है। भारत, कनाडा, अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश भी अफगानिस्‍तान से अपने नागरिकों को विमान के जरिये निकाल रहे हैं। अफगान नागरिक भी तालिबान के पूर्व के शासन की याद करके सिहर रहे हैं। 1996 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्‍जा किया था तो अफगानिस्‍तान के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति नजीबुल्‍लाह को मारकर बिजली के खंभे से लटका दिया था।

तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति नजीबुल्‍लाह पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी का हिस्‍सा थे। यह पार्टी कम्‍युनिस्‍ट विचारधारा की थी। जब यह दल सत्‍ता में आया था तो अफगानिस्‍तान में कई तरह के सामाजिक बदलाव लाया था। इसमें औरतों को उनके अधिकार दिए गए थे। साथ ही धर्मनिरपेक्षता को लेकर भी कुछ पहल की गई थीं।

लेकिन इन सबके बावजूद इस दल की सरकार में नागरिकों के साथ अच्‍छा व्‍यवहार नहीं हुआ। लोग परेशान थे। अफगानिस्‍तान के लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी। इसी के चलते सरकार के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों को स्‍थानीय लोगों का समर्थन मिलने लगा था। 1987 में सोवियत संघ की मदद से नजीबुल्लाह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने थे।

राष्‍ट्रपति बनने के बाद नजीबुल्लाह ने अफगानिस्तान का संविधान फिर लिखवाया था। साथ ही देश का नाम बदलकर रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान करवा दिया था। दिसंबर 1991 में सोवियत संघ टूट गया था। इसके बाद नजीबुल्लाह को मिलने वाली सारी मदद बंद हो गई। फिर नजीबुल्लाह अपनी जान बचाने के लिए एक कंपाउंड में 1996 तक छिपे रहे।

इसी दौरान अफगानिस्तान में तालिबान बढ़ रहा था. तब उसे पाकिस्‍तान और अमेरिका जरूरी मदद देते थे। तालिबान ने जब काबुल पर कब्‍जा किया था तो नजीबुल्लाह को अपने साथ चलने को कहा था, लेकिन उन्‍होंने साथ जाने से मना कर दिया था। इसके बाद तालिबान ने उन्‍हें मार दिया और काबुल के आरियाना चौक में एक बिजली के खंभे से लटका दिया था।

मारने से पहले उन्‍हें एक ट्रक के पीछे बांधकर सड़कों पर घसीटा भी गया था। तालिबान ने उनके सिर पर गोली मारी थी। जिस खंभे पर उन्‍हें लटकाया गया था उसी पर उनके भाई शाहपुर अहमदजाई की लाश भी लटक रही थी।

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