‘क्या अल्लाह बहरा है…’, बीजेपी नेता ईश्वरप्पा ने कहा- मुझे अजान सुनने से होता है सिरदर्द

eshwarappa

कर्नाटक बीजेपी के नेता व पूर्व डिप्टी सीएम ने अजान पर विवादित टिप्पणी कर दी है। पूर्व डिप्टी सीएम एस.ईश्वरप्पा ने अजान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या अल्लाह बहरा है कि उसे बुलाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की जरूरत है। अजान को लेकर पिछले कई सालों से बहस जारी है। कर्नाटक में तो हिजाब और अजान का मुद्दा हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उनके भाषण के दौरान पास के एक मस्जिद में अजान हुआ। इस पर ईश्वरप्पा ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं, यह (अज़ान) मुझे सिरदर्द देता है। “सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, आज नहीं तो ये अज़ान का आह्वान खत्म हो जाएगा। ईश्वरप्पा यहीं नहीं रूके, उन्होंने लोगों से सवालिया लहजे में पूछा कि क्या अजाान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर ही अल्लाह नमाज सुनेगा। उन्होंने कहा कि मंदिरों में लड़कियां और महिलाएं प्रार्थना और भजन करती हैं। हम धार्मिक हैं लेकिन हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। अगर आपको लाउडस्पीकर से नमाज अदा करनी है तो इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है।

कर्नाटक के पूर्व उप मुख्यमंत्री ईश्वरप्पा का विवादों से गहरा नाता रहा है। अजान पर टिप्पणी के पहले भी उनके विवादित बयान सुर्खियों रह चुके हैं। इससे पहले उन्होंने 18वीं शताब्दी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को मुस्लिम गुंडा कहकर संबोधित किया था। ईश्वरप्पा पर भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। पिछले साल एक ठेकेदार की खुदकुशी के बाद वरिष्ठ नेता को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। ईश्वरप्पा पर पुलिस केस भी हुआ था। ठेकेदार ने कमीशन का आरोप लगाते हुए अपनी खुदकुशी में ईश्वरप्पा को जिम्मेदार बताया था। इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया था।

‘अजान’ लंबे समय से गहन बहस और तकरार का विषय रहा है। एक वर्ग का तर्क है कि अज़ान के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग अन्य धर्मों के लोगों को परेशान करता है। जबकि मुस्लिम समाज इसे धार्मिक स्वतंत्रता मानता है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2005 में ध्वनि प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों का हवाला देते हुए सार्वजनिक आपात स्थितियों को छोड़कर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में अक्टूबर 2005 में अदालत ने कहा कि लाउडस्पीकरों को साल में 15 दिनों के लिए उत्सव के अवसरों पर आधी रात तक इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें दावा किया गया था कि अज़ान की सामग्री अन्य धर्मों के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले साल मस्जिदों को कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया और कहा कि सहिष्णुता संविधान की विशेषता है। कोर्ट ने कहा कि अजान से अन्य धर्मों के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने वाली दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

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