जम्मू—कश्मीर: अनुच्छेद 371 के विशेष प्रावधान लागू कर कम की जा सकती है नाराजगी

नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान रद्द करने के लगभग दो साल बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गुरुवार को बैठक हुई। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोभाल समेत कई नेता मौजूद रहे। करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेता इस पर अड़े रहे कि अनुच्छेद 370 वापस होना चाहिए। इतना ही नहीं मुफ्ती ने तो चीन और पाकिस्तान से भी बात करने की सलाह दी। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का आश्वासन दिया कि परिसीमन पूरा हो जाने के बाद चुनाव कराए जाएंगे।

दूसरी ओर एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अनुच्छेद 370 पर अड़े नेताओं की मांग पर बीच का रास्ता तैयार किया जा सकता है। हिन्दी अखबार दैनिक भास्कर के अनुसार राज्य में अनुच्छेद 371 के प्रावधान लागू किए जा सकते है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कुछ इलाकों 371 के प्रावधान लागू किए जा सतके हैं ताकि अनुच्छेद 370 की मांग कमजोर पड़े।

अखबार में चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से बताया कि 31 अगस्त तक परिसीमन का काम हो जाएगा। इस बीच अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों की मांग कर रहे नेताओं और दलों को अनुच्छेद 371 के विशेष प्रावधानों पर राजी जा सकता है।

बता दें अनुच्छेद 371 ए से लेकर जे तक देश के कई राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करते हैं. हर राज्य के अपने हितों का ख्याल रखने के लिए संविधान के इन अनुच्छेदों के जरिए उन्हें स्पेशल पावर दी गई है। आर्टिकल 371 जे गोवा राज्य से संबधित है। हालांकि इससे राज्य को कोई स्पेशल स्टेट्स नहीं मिलता। उसी तरह से आर्टिकल 371 ई आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से जुड़ा है. इसमें भी कुछ स्पेशल जैसा नहीं है।

आर्टिकल 371 महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल को कुछ विशेष जिम्मेदारी देता है। महाराष्ट्र में ये विदर्भ, मराठवाड़ा और महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों के लिए अलग-अलग डेवलपमेंट बोर्ड बनाने को लेकर है। उसी तरह से गुजरात में ये सौराष्ट्र और कच्छ में अलग डेवलपमेंट बोर्ड बनाने को लेकर। ताकि इन राज्यों के पिछड़े इलाकों को सही मायने में और हर तरीके से विकास हो।

नगालैंड को आर्टिकल 371ए के जरिए विशेष दर्जा दिया गया है. संविधान के 13वें संशोधन के जरिए 1962 में इसके प्रावधान जोड़े गए। इसे नगा समुदाय के हितों के लिए लागू किया गया है। इसके मुताबिक संसद नगाओं के धार्मिक और सामाजिक मामलों से जुड़ा कोई कानून नहीं बना सकती। इसी आर्टिकल के जरिए नगालैंड में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर पाबंदी लगी है। असम के आदिवासी इलाकों के संरक्षण के लिए आर्टिकल 371 बी की व्यवस्था है। संविधान के 22वें संशोधन में 1969 में इसे संविधान में शामिल किया गया है।

आर्टिकल 371 सी मणिपुर को विशेष सुविधा प्रदान करता है। इसमें यहां की विधानसभा के लिए पहाड़ी इलाकों से कुछ सदस्य चुने जाते हैं। इसके बेहतर कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्यपाल की होती है। आर्टिकल 371 डी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को विशेष सुविधा देता है। इस आर्टिकल के जरिए राज्य के सभी इलाकों में समान रूप से रोजगार और शिक्षा के अवसर मुहैया करवाने की सुविधा प्रदान की जाती है. इस बारे में राष्ट्रपति राज्य शासन को दिशा निर्देश दे सकते हैं।

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