‘कान्हा पकड़ो न बीच बाजार नहीं तो मैं मर जाऊंगी’

संस्कृति संवाददाता
यूनिक समय, वृंदावन। कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक (कुंभ मेला) क्षेत्र स्थित संस्कृति ग्राम के सांस्कृतिक पंडाल पर जैसे ही मंच पर राधा कृष्ण और उनकी गोपियों के समूह ने पदार्पण किया तो वैसे ही सारा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राधा कृष्ण के जयकारों का उद्घोष होने लगा।

बृज की कलाकार डॉ सीमा मोरवाल द्वारा ब्रज की पारंपरिक होलियों की प्रस्तुति बहुत ही अनुपम रही। परंपरा के अनुसार ठाकुर बांके बिहारी महाराज की वंदना करते हुए डॉ सीमा मोरवाल ने मेरे बांके बिहारी लाल यह मन रखियो अपने चरनन में मन रखियो अपने चरनन में तन रखियो श्री वृंदावन में गाते हुए अपने हृदय की मनोभावों को गीतों के माध्यम से व्यक्त किया। होली रंग और गुलाड़ते हुए कन्हइया से कहती है कान्हा पकड़ो न बीच बाजार नहीं तो मैं मर जाऊंगी गोपी प्रेम की पराकाष्ठा प्रस्तुत की। रसिया रोज मेरे घर आवे बहानो कर के होली मैं का गायन जैसे ही आरम्भ हुआ दर्शक समूह नृत्य करने लगा।

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