जानिए: 1 अगस्त से सस्ता हो जाएगा कार या बाइक खरीदना, नियमों में हुआ बड़ा बदलाव!

नई दिल्ली। अब इरडा ने बीमाकर्ताओं के लिए 2018 से गाड़ी खरीदते समय कारों के लिए 3 साल की मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी और टू व्हीलर्स के लिए 5 साल की मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी अनिवार्य कर दिया था। इरडा ने लॉन्‍ग टर्म मोटर थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस पैकेज को वापस ले लिया है
गाड़ी खरीदते समय कार के लिए 3 साल और टू व्हीलर्स के लिए 5 साल का कवर लेना जरूरी नहीं रहेगा।

1 अगस्त से कार और टू-व्‍हीलर इंश्योरेंस से जुड़े नियम बदलने जा रहे हैं। भारतीय बीमा विकास व नियामक प्राधिकरण (इरडा) के निर्देशों के अनुसार, 1 अगस्त से गाड़ी खरीदते समय कार के लिए 3 साल का और टू व्हीलर्स के लिए 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी नहीं रहेगा। इरडा ने जून में लॉन्ग टर्म पैकेज्‍ड थर्ड पार्टी और ओन-डैमेज इंश्‍योरेंस पॉलिसी के नियम को वापस ले लिया है। इरडा ने कहा कि इनके कारण गाड़ियों की कीमत बढ़ जाती है इससे गाड़ी लेना मुश्किल हो जाता है।

2018 में हुई थी इस नियम की शुरुआत
इरडा ने जून महीने में मौजूदा लॉन्‍ग टर्म पैकेज कवर की समीक्षा की। इसके बाद उसने 1 अगस्त 2020 से नई कारों के लिए 3 साल और टू-व्‍हीलर के लिए 5 साल के थर्ड पार्टी और ओन डैमेज कवर लेने के फैसले को वापस लिया। इरडा ने बीमाकर्ताओं के लिए अगस्त 2018 से गाड़ी खरीदते समय कारों के लिए 3 साल की मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी और सितंबर 2018 से टू व्हीलर्स के लिए 5 साल की मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी अनिवार्य कर दिया था।

क्या है मोटर थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस?
थर्ड पार्टी यानी तीसरा पक्ष। पहला पक्ष वाहन मालिक, दूसरा वाहन चालक और दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति तीसरा पक्ष होता है। मोटर वाहन के सार्वजनिक स्थान पर उपयोग के दौरान वाहन से यदि कोई दुर्घटना होती है और किसी तीसरा पक्ष (थर्ड पार्टी) को जान-माल की हानि होती है तो वाहन का मालिक और उसका चालक इस नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कानूनन बाध्य होते हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक मुआवज़े की भरपाई के लिए बीमा कंपनियां थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस करती हैं। बीमा होने पर मुआवज़े की राशि का भुगतान सम्बंधित बीमा कंपनी करती है।

ओन डैमेज कवर क्‍या है?
ओन डैमेज (ओडी) या कॉम्प्रीहेंसिव पॉलिसी में थर्ड पार्टी पॉलिसी के सभी कवर के अलावा बीमित वाहन को नुकसान से भी कवर मिलता है। इससे गाड़ी में नुकसान होने पर आपको आर्थिक नुक्सान का सामना नहीं करना पड़ता।

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