जान लें करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में कई ऐसे तीज त्योहार हैं जो खासतौर से पति पत्नी के रिश्ते को समर्पित हैं। इसी फेहरिस्त में सबसे लोकप्रिय है करवा चौथ का व्रत। लगभग सभी शादीशुदा महिलाएं बेसब्री से पूरे साल करवा चौथ का इंतजार करती हैं।

उनके लिए ये सिर्फ एक व्रत नहीं बल्कि अपने दांपत्य जीवन के सफर के खुशहाली के साथ आगे बढ़ने का जश्न है। ये पर्व पति पत्नी के जीवन में नई ऊर्जा भरने का काम करता है। शादी को समय बीत गया हो या आप नवविवाहिता हैं, इस साल आप करवाचौथ का व्रत करना चाहती हैं तो जान लें तिथि, शुभू मुहूर्त और पूजा विधि।

करवाचौथ की तिथि

इस साल करवा चौथ 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत का शुभारंभ सूर्योदय से पहले हो जाता है और चांद निकलने तक रखा जाता है। व्रत से पहले महिलाएं अपनी सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं और फिर इस व्रत को रखती हैं। वो अपना व्रत रात के समय चांद देखकर खोलती हैं।

चांद निकलने से पहले शाम के समय शुभ मुहूर्त पर संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। चांद दिख जाने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर अपना उपवास खोलती हैं।

ऐसी आस्था है कि करवा चौथ का उपवास रखने से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त

17 अक्टूबर – 17:50:03 से 18:58:47 तक

अवधि: 1 घंटे 8 मिनट

करवा चौथ चंद्रोदय समय 20:15:59

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठें और सरगी में मिले भोजन को ग्रहण करने के बाद भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत करने का संकल्प लें। शाम के समय पूजा के लिए एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवी देवताओं को स्थापित करें और करवे रख दें। आप एक थाल लें और उसमें धूप, सिंदूर, चंदन, रोली रखें और घी का दीप जला लें। चांद निकलने के लिए बताए समय से एक घंटा पहले ही पूजा शुरू कर दें। इस दिन महिलाएं साथ मिलकर पूजा करती हैं। इस पूजा में करवा चौथ की कथा सुनना या पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। चांद निकलने पर उसे अर्घ्य दें और उसकी पूजा करें। चंद्रमा के दर्शन होने के बाद आप अपने पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोल लें। अपनी सास के चरण स्पर्श करके उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लें।

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