जानिए: आपके एयरकंडीशन का तापमान क्यों 24 डिग्री पर रखना ही बेहतर है!

नई दिल्ली। गर्मियों का कहर अपने चरम पर है। कई जगह पारा 42 से 44 डिग्री सेल्सियस तक पार पहुंच चुका है। गर्मियों से बचने के लिए लोग एयर कंडीशनर का सहारा ले रहे हैं। एसी के तापमान को लेकर पिछले साल काफी हंगामा और डिबेट हुई थी।

बीते साल ऊर्जा मंत्रालय ने एयर कंडीशनर का तापमान 24 डिग्री सेट करने सुझाव क्या दिया था। लेकिन असल सवाल है कि ऐसा करने से हासिल क्या होगा? क्या वाकई एसी के तापमान से बिजली की खपत निर्धारित होती है? और भारत में एयर कंडीशनर की क्या है डिमांड?

भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने सिर्फ सलाह दी थी कि एसी की डिफॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री सेल्सियस रखी जाए। इसके पीछे का मकसद, एनर्जी को बचाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना था. इसके लिए सरकार चाहती है कि जागरुकता मिशन चलाया जाए और लोगों को इसके फायदे बताए जाएं।

साल 2016 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में कुल 16 अरब एयर कंडीशनर्स की यूनिट मौजूद हैं. ये ज्यादातर यूनिट खासकर अमेरिका, चीन और जापान/दक्षिण कोरिया में मौजूद है. यहां क्रमश 37.4 करोड़, 56.9 करोड़ और 20.7 करोड़ यूनिट हैं।

भारत में होगी सबसे ज्यादा एसी की मांग
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया में एसी की सबसे ज्यादा मांग भारत से होगी। रिपोर्ट के मुताबिक एसी की खरीद में 4206% की बढ़ोत्तरी होगी. दूसरे नंबर पर इंडोनेशिया का नंबर आता है, जहां 1845% की दर से बढ़ोत्तरी होगी।

जब दुनिया में एसी की मांग बढ़ेगी तो बिजली की खपत में भी इजाफा होगा. रिपोर्ट के मुताबिक ऊर्जा की अनुमानित मांग पर गौर करें तो 2050 तक ये 1997 से बढ़कर 6205 टेरावॉट/घंटे हो जाएगी।

एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 तक दुनिया में 16.22 अरब एयर कंडीशनर मौजूद थे। साल 2050 तक इस आंकड़े में करीब 40 अरब की बढ़ोत्तरी हो जाएगी. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर एसी को लेकर कोई सुधार नहीं हुआ तो हालात ऐसे ही होंगे।

अलग अलग देशों में क्या तय है एसी का कम से कम तापमान
दुनिया के दूसरे मुल्कों में एसी के तापमान को लेकर जागरुकता अभियान चलाए गए हैं. जापान भी ऐसे मुल्कों में शामिल है. वहां 2005 से कंपनियों और घरों में तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रखने को लेकर जोर दिया जाता है।

अमेरिका की बात करें तो कैलिफॉर्निया में गर्मियों के दौरान 25.6 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रख सकते. अलग-अलग यूनिवर्सिटियों का अपना-अपना कहना है।

 

हार्वर्ड के मुताबिक 23.3 और 25.6 डिग्री सेल्सियस और लंदन स्कूल इकनॉमिक्स के मुताबिक तापमान 24 डिग्री होना चाहिए. किसी कमरे या जगह का तापमान 18 डिग्री करने के लिए एसी को लगातार काफी देर तक काम करते रहना पड़ता है. इससे एयर कंडीशनर की सेहत पर खराब असर के साथ बिजली की खपत भी ज्यादा होती है।

सबसे खास बात ये है कि इससे वहां मौजूद व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है. दरअसल एसी कमरे में मौजूद नमी को सोखता है. इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव आपकी त्वचा पर पड़ता है. ऊपर से यह आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने वाले प्राकृतिक तंत्र को प्रभावित करता है।

24 डिग्री तापमान का आपके एसी कंप्रेसर से भी है रिश्ता
सरकार के सुझाव से पहले हमें ये समझना होगा कि एसी काम कैसे करता है। एसी दरअसल बाहर की तुलना में अंदर का तापमान ठंडा रखता है।

ठंडे से समझिए कि 25 डिग्री सेल्सियस. पहले एसी आपके कमरे के तापमान को 25 डिग्री तक ठंडा करेगा. लेकिन जब कमरा 25 डिग्री तापमान पर पहुंच जाता है तो एसी का कंप्रेसर चलना बंद हो जाता है। यानि एसी ठंडा करना बंद कर देता है और सिर्फ उसका फैन चलता है।

जब तापमान बढ़ जाता है तो एसी 25 डिग्री के तापमान को मेंटेन करने के लिए फिर से कूलिंग करने लग जाता है। लेकिन 40 डिग्री के मौसम में कमरे का तापमान 18 डिग्री करने के लिए एसी को लगातार काफी देर तक काम करते रहना पड़ता है।

दरअसल ऊर्जा मंत्रालय का सुझाव था कि ‘एसी पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ाने से 6% एनर्जी बचती है। न्यूनतम तापमान को 21 डिग्री के बजाय 24 डिग्री पर सेट करने से 18% एनर्जी बचेगी.” ऊर्जा मंत्री के मुताबिक कमरे में तापमान कम पर रखने के लिए कम्प्रेसर ज़्यादा काम करेगा. 24 से 18 डिग्री पर सेट करने के बजाय ऐसा नहीं कि तापमान वाकई इतना कम हो जाता है।

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