लॉकडाउन: जानिए कैसे घर—घर पहुंच रहा जरूरतमंदों को सामान!

लखनऊ। व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल इन दिनों जीवनरेखा साबित हो रहा है. सिर्फ सूचनाओं का आदान-प्रदान ही नहीं बल्कि जरूरत की सभी चीजें इन दिनों व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए मंगाई जा रही हैं. लखनऊ जिला प्रशासन की देख-रेख में जितने भी रिटेल शॉप्स हैं, चाहे वह फैमिली बाजार हो, बिग बाजार हो, बिग बास्केट हो या कोई और, इन सभी से सामान मंगाने के लिए व्हाट्सएप का जमकर इस्तेमाल हो रहा है. जितने भी थोक विक्रेता या फिर मॉल वाले या फिर फुटकर दुकानदार हैं, इन सभी को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए जिला प्रशासन ने एक प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा कर दिया है. रिटेलर इस ग्रुप के माध्यम से होलसेलर से सामान लेता है, जबकि रिटेलर व्हाट्सएप पर ही और ऐप के जरिये लोगों से डिमांड लेकर सामान उनके घर तक पहुंचाता है. 5000 के करीब डिलीवरी बॉय इस काम में लगे हैं।

डिलिवरी सिस्टम में चरणबद्ध समीक्षा जारी
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुरेश चंद्र ने बताया कि ऐसे 5000 डिलीवरी बॉयज का उन्होंने पास जारी किया है. सीडीओ मनीष बंसल के नेतृत्व में हर रोज इसकी समीक्षा होती है कि सप्लाई चेन को मेंटेन करने में कोई बाधा तो नहीं आ रही है? उसे तत्काल प्रभाव से हल किया जाता है. उदाहरण के तौर पर कुछ कंपनियों का गोडाउन लखनऊ से बाहर बना है, जहां से ट्रक के जरिए माल लखनऊ मंगाने में परेशानी होती थी. इस समस्या को खुद सीडीओ अपने स्तर पर हल करते हैं, जिससे ट्रकों के आवागमन में कोई बाधा न हो.

स्विगी, जोमैटो के डिलिवरी ब्वाय ग्रुप में शामिल
उन्होंने बताया कि इस काम में जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियां भी लगी हैं, जो पहले लोगों के घरों तक खाना पहुंचाया करती थीं. रेस्टोरेंट बंद होने की सूरत में इनके डिलीवरी ब्वॉय भी खाली थे. लिहाजा जिला प्रशासन ने इन्हें भी ग्रुप में शामिल कर लिया है. पहले स्विगी डिलीवरी के बदले में कुछ अमाउंट चार्ज करता था लेकिन उसे भी अब खत्म करा दिया गया है.

28 खाद्य सुरक्षा अधिकरियों की टीम रख रही नजर
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि सभी कंपनियों को उनका ऐप डिवेलप करा दिया गया है, जिसके जरिए वह डिमांड लेती हैं. 28 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम इन कंपनियों की विजिट भी करती है जिससे कि स्मूथ फंक्शनिंग में कोई प्रॉब्लम ना आए.

5 दिनों में 80,000 लोगों तक पहुंचाया गया सामान
मुख्य विकास अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि सभी रिटेलर का एक अलग से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, जिसके जरिए सामान पहुंचाने में यदि कहीं कोई प्रॉब्लम आती है तो उस ग्रुप में इंफॉर्मेशन के जरिए उस समस्या को हल किया जाता है. सीडीओ ने यह भी बताया कि पिछले 5 दिनों में 80,000 लोगों तक जरूरी सामान उनके घरों में पहुंचाया गया है. इस काम में 251 फोर व्हीलर लगी हैं जबकि 1200 से ज्यादा बाइक के जरिए सामान पहुंचाया जा रहा है. 3000 से ज्यादा स्टाफ जरूरतमंद लोगों के लिए लखनऊ की सड़कों पर दौड़ रहे हैं.

किस समान के लिए कितनी व्यवस्था
दूध- 16 अलग-अलग यूनिट या कंपनियां इसमे लगी हैं. इन सभी पर दूध के लिए आर्डर किया जा सकता है. इनमें पराग, आनंदा, मदर डेयरी, प्रयाग डेयरी, ज्ञान सहित तमाम कंपनियां हैं. अमूल का आर्डर उनके उनके डिस्ट्रीब्यूटर लेते हैं. इसके अलावा 68 छोटे बड़े सामान विक्रेता हैं, जिनको लोग ऑर्डर दे सकते है. स्मार्ट बनिए, बेस्ट प्राइस, मेट्रो, फैमिली बाजार, स्पेंसर, इजी डे, राउंड ओ क्लॉक, विशाल मेगा मार्ट और शॉप किराना जैसी कंपनियों सहित कुल 68 छोटे बड़े व्यापारिक संगठन लोगों को जरूरी सामान उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं.

कुछ लोग डिलीवरी बॉय से बच रहे हैं
जहां एक तरफ हजारों की संख्या में लोग डिलीवरी बॉय के जरिए जरूरत का सामान अपने घरों तक मंगा रहे हैं, वहीं राजधानी लखनऊ में स्थानीय निवासियों का एक ऐसा तबका भी है, जो डिलीवरी ब्वॉय से सामान मंगाने के बजाय स्वयं मोहल्ले की दुकान से सामान लाना ज्यादा उचित समझ रहा है. गोमती नगर के विनीत खंड में बालाजी प्रोविजन चलाने वाले अरविंद ने बताया कि लोग उन्हें व्हाट्सएप पर पूछ लेते हैं कि कौन सा सामान स्टोर में मौजूद है? और कौन सा नहीं है? जो सामान स्टोर में मौजूद होता है वह स्वयं ही लेने के लिए आ जाते हैं. उनका कहना है कि डिलीवरी ब्वॉय के घर पर आने से उन्हें ज्यादा उचित यह लग रहा है कि वह स्टोर से ही सामान जाकर खुद ले ले. ऐसे लोगों के मन मे संदेह ये है कि डिलीवरी न जाने कितने लोगों के संपर्क में रोज आता होगा.

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