मध्य प्रदेश: देखिए परीक्षा में ऐसी होती है नकल, स्टूडेंट गाड़ियों पर बैठकर गूगल से हल कर रहे सवाल

मुरैना। एक तरफ जहां इन दिनों मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए भर्ती कराने वाले प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) चर्चा में बना हुआ है। क्योंकि संस्था पर बार-बार एग्जाम को लेकर होने वाली गड़बड़ियों का आरोप लग रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के मुरैना जिले से एक परीक्षा में नकल करने का अलग ही मामला सामने आया है। जहां नर्सिंग कॉलेज के प्रैक्टिकल एग्जाम में सामूहिक नकल की गई। छात्रों ने अपनी गाड़ियों में बैठकर गूगल और whatsapp. के जरिए कॉपी लिखी।

कोई फर्श पर तो कोई गैलरीऔर पार्किंग में बैठकर परीक्षा दे रहा
दरअसल, नकल का यह नजारा मुरैला जिला अस्तपाल से सामने आया है। जहां पर नर्सिंग कॉलेज फर्स्ट ईयर के प्रैक्टिकल एग्जाम आयोजित किए गए हैं। इस दौरान शुक्रवार को कई नर्सिंग कॉलेज के छात्र और छात्राएं जिला अस्पताल में परीक्षा देने के लिए आए हुए थे। लेकिन धांधली का जो नजारा देखने को मिला वह हैरान करने वाला था। क्योंकि यहां पर स्टूडेंटों ने किसी हॉल में बैठकर एग्जाम नहीं दिेए। जिसको जहां भी समझ में आया वहां पर कॉपी लेकर बैठ गया। कोई अस्पताल के फर्श पर तो कोई गैलरी से लेकर वेटिंगरूम और पार्किंग में खड़ी गाड़ियों पर बैठकर परीक्षा दे रहा था। जहां उन्होंने नकल करने के लिए गूगल और whatsapp. खोल रखा था। जिसके जरिए वह हर सवाल को हर कर रहे थे।

दो से ढाई लाख रुपए फीस दी और कॉलेज एक बार नहीं गए
बता दें कि यह नर्सिंग कॉलेज फर्स्ट ईयर के प्रैक्टिकल एग्जाम 6 अप्रैल तक चलने वाले हैं। इस एग्जाम को देने वाले अधिकतर स्टूडेंट बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। जो मुरैला के एक नर्सिंग में पढाई कर रहे हैं। हैरान की बात तो यह है कि परीक्षा दे रहे दर्जनों स्टूडेंट को तो यह भी नहीं पता कि उनका कॉलेज कहां पर है। वहीं पटना से आए एक छात्र देव कुमार ने कहा मैं आज तक अपने कॉलेज ही नहीं गया। ना तो कोई क्लास अटेंड की और ना ही किसी टीचर को जानता हूं। छात्र ने बताया कि कॉलेज ने उससे इस कोर्स को कराने के लिए एक साल के दो से ढाई लाख रुपए फीस ली है।

स्टूडेंट से एक कदम आगे निकले टीचर
प्रैक्टिकल एग्जाम देने से पहले नर्सिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स को अस्पताल में भर्ती मरीजों के पास लेकर जाया जाता है। जहां उनको मिलाया जाता है और उसी आधार पर वह अपनी कॉपी लिखते हैं। लेकिन यहां कोई भी स्टूडेंट किसी मरीज के पास नहीं गया। उल्टा उसने अपने जेब से मोबाइल निकाला और गूगल के माध्यम से हर सवाल हल करते रहे। जब मीडिया ने अस्पताल में मौजूद टीचर से इस तरह एग्जाम होने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने किसी का कोई जवाब नहीं दिया।

 

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