मध्यम वर्ग के परिवार बड़े सदमे में, कोरोना ने बना दिया कर्जदार

महेश वाष्र्णेय
यूनिक समय, मथुरा। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई परिवारों को झटका सा लगा है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसे दिन देखने को मिलेंगे। लाखों रुपया खर्च हो गया,पर जिंदगी बच नहीं सकी। यह कहानी, किसी एक परिवार की नहीं है। कई परिवारों की है। कई परिवारों ने अपना बेटा खो दिया। किसी ने घर का मुखिया। किसी ने अपनी पत्नी। किसी ने अपनी मां और किसी ने कोई अपना सगा संबंधी।

इस सिलसिले की सबसे भयावह तस्वीर देखने को मिलती है शमशान घाट पर। यहां कतारबद्ध चिता जलती दिखाई देती हैं। प्रशासन मृतकों के आंकड़ों को लेकर कुछ भी जानकारी दे, लेकिन हकीकत देखनी है तो शमशान घाट पर जाकर देखिए। चिताओं को आंखों से आंसू छलक आते हैं। मन द्रवित हो उठता है कि हे भगवान यह क्या हो रहा है। पर कोरोना संक्रमण ने अब तक न जाने कितनों परिवारों को दर्द दे दिया। इस दर्द का अहसास कब तक होता रहेगा, यह कोई नहीं जानता।

पिछले वर्ष 2020 कोरोना संक्रमण आया था, लेकिन इतनी भयावहता दिखाई नहीं थी, उस समय भी शहर की कई नामी गिरामी लोगों का निधन हो गया था। पर इतना नहीं था, जितना कि 2021 में। दूसरी लहर का असर साफ नजर आ रहा है। मथुरा के कई धनाढ्य परिवारों के सदस्यों का इलाज मथुरा को छोड़कर किसी दूसरे बडे़ शहरों में चल रहा है तो कई लोग यहां के दो बड़े हॉस्पीटलों में भर्ती हैं। इस बीच हर रोज किसी न किसी नामी गिरामी चेहरे की ऐसी खबर आती है कि सुनकर हर किसी के मुंह से उफ निकलती है। बात मध्यम वर्ग के परिवारों की हो तो उनके सामने इलाज कराने के लिए समस्या आती है। वह मोटे खर्च पर इलाज कैसे कराएं। कर्ज लेकर जैसे जैसे कोरोना संक्रमित रोगी का इलाज कराए और उसकी मौत की खबर आए तो उस परिवार पर क्या बीतती है, यह तो वह जाने। एक आदमी के जाने से पूरे परिवार की स्थिति लड़खड़ा जाती है।हास्पीटलों में इलाज कराना हर किसी के बस की बात नहीं रही। इलाज के चक्कर में ऐसे कई परिवार बर्बादी की ओर आ गए।

ओ…हॉस्पीटल के बैड फुल
यूनिक समय, मथुरा। हाथ, जेब और बैग में लाखों रुपये । लेकिन हॉस्पीटल फुल। अब माथे पर खींचती लकीरें, कहां ले जाए मरीज को। यह स्थिति अब जिले के हास्पीटलों की हो चली है। जहां ले जा रहे है, वहीं बताया जा रहा है कि बेड फुल हैं। रोगी को कहीं और ले जाओ। अब इसका जवाब किसी के पास नहीं है। भर्ती हो रहे हैं तो जुगाड़ से। किसी से जुगाड़ कराओगे तो बैड मिल जाएगा, वर्ना नही। जानकार सूत्रों से मिल जानकारी के अनुसार जिले में छह कोविड हास्पीटल हैं, लेकिन सभी जगह बैड फुल है। अब आने वाले नए रोगियों को भर्ती करने के लिए डाक्टर कतरा रहे हैं। रोगियों के तीमारदार मिन्नते कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं हैं।

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