डॉ.योगिता मर्डर केस: मां ने हाथ जोड़कर एसएसपी से कहा- हैवान है विवेक और उसे,,,

योगिता मर्डर केस
योगिता मर्डर केस

माता-पिता ने जिस बेटी को डोली में विदा करने के सपने सजोए थे उसका शव पोस्टमार्टम हाउस में था। माता-पिता बाहर खड़े थे। बेटा भी उनके साथ था। तभी अचानक एसएसपी बबलू कुमार वहां आ गए। उन्हें देखकर मां का कलेजा फट पड़ा। मां ने उनके सामने गुहार लगाई।  उनकी आवाज में दर्द था। जुबान लड़खड़ा रही थी। हाथ-पैर कांप रहे थे। वह बोलीं विवेक हैवान है। उसे फांसी की सजा दिलाएं। उन्हें इंसाफ चाहिए। उनकी जान से प्यारी बिटिया को उसने उनसे छीन ली। एसएसपी ने परिजनों को आश्वासन दिया। कहा कि कार्रवाई में कोई कमी नहीं रहेगी। पुलिस इस मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्ट में कराकर नजीर पेश करेगी।

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मां आशा गौतम ने बताया कि बेटी की एमबीबीएस के बाद ही इटावा में नौकरी लग गई थी। बेटी ने उनसे कहा कि एमएस करना है। उन्होंने उसे नहीं रोका। बेटी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। सत्र 2017-18 में एसएन मेडिकल कॉलेज में पीजी में प्रवेश लिया। बेटी अपनी पढ़ाई और मरीजों की सेवा में व्यस्त रहती थी। घर पर फोन करके सब कुछ बताती थी। चाहें अच्छा हो या बुरा। पिछले दिनों कोविड वार्ड में प्रसव कराने वाली टीम में वह शामिल थी। जिलाधिकारी ने बेटी की सराहना की थी। बेटी ने यह बात भी बताई थी। उनकी बेटी आगरा वालों की कोरोना वार्ड में सेवा कर रही थी।

उस बेटी को उनसे छीन लिया गया। वह क्या मुंह लेकर अपने घर लौटेंगे। चार दिन पहले ही बेटी का रिजल्ट आया था। उसका एमएस पूरा हो गया था। बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं था। हैवान विवेक ने उनके परिवार की खुशियां उनसे छीन ली। उसे तो फांसी होनी चाहिए। उनका परिवार उसे जीते जी कभी माफ नहीं करेगा। जब तक उसे सजा नहीं मिलेगी उन्हें चैन की नींद नहीं आएगी।

पढ़ने में बचपन से ही होनहार थी योगिता:
मेरी होनहार बेटी को मार दिया। डॉ. विवेक को मैंने पहले ही कह दिया था कि जाति के बंधन की वजह से शादी नहीं हो सकती। परंतु वह मेरी बेटी को इमोशनल ब्लैक मेल कर रहा था। मेरी उससे 18 अगस्त को भी फोन पर बात हुई थी। तब भी उसने अपने खतरनाक इरादे जाहिर नहीं होने दिए। दोनों में कई साल पुरानी दोस्ती थी। इसके बाद भी विवेक ऐसा किया। मेरी बेटी कई लड़कियों की प्रेरणा थी। परंतु अब तो वह केवल स्मृतियों में ही रह गई है।

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गुरुवार को पोस्टमार्टम हाउस पर बेटी योगिता के बारे में बात करते-करते अंबेश गौतम की आंखे कई बार छलक पड़ रही थीं। बेटी के बारे में रुंआसे गले से बताते हुए पिता कह रहे थे कि बेटी शुरू से ही पढ़ाई में होनहार थी। 10वीं में 87 प्रतिशत और 12वी में 85 प्रतिशत अंक लाई थी। शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से की तो 10वीं रुद्रप्रयाग व 12वीं मुजफ्फरनगर से की थी। 2009 में एमबीबीएस में एडमिशन हुआ और 2017 में एसएन मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई के लिए आई थी। पीजी की पढ़ाई से पहले इटावा में नौकरी भी लग गई थी, परंतु पीजी करने के लिए नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।

शादी के लिए कर दिया था मना 
अंबेश गौतम ने बताया कि उन्होंने करीब एक साल पहले डॉ. विवेक से फोन पर बात के दौरान कह दिया था कि जाति के बंधनों की वजह से उनकी बेटी से उसकी शादी नहीं हो सकती। बेटी ने भी उससे धीरे-धीरे संबंध खत्म कर दिए थे। परंतु डॉ. विवेक बार-बार पुरानी दोस्ती का हवाला देकर बेटी को इमोशनल ब्लैकमेल करता रहता था। 18 अगस्त को भी विवेक ने बेटी को इमोशनली ब्लैकमेल कर मिलने के लिए बुलाया था।

अब कलाई पर कौन बांधेगा राखी 
भाई मोहिंदर बार-बार इस बात को लेकर रुंआसे हो रहे थे कि अब उनकी कलाई पर राखी कौन बांधेगा। इकलौती बहन के जाने का गम मोहिंदर के चेहरे पर दिखाई दे रहा था। मोहिंदर बता रहे थे कि बहन उनकी प्रेरणा थी। वह हमेशा बहन की मेहनत व लगन को देखकर आगे बढ़ने की सोचते थे। परंतु अब ऐसा नहीं होगा। बहन भले ही दूर रहती थी, परंतु दोनों में फोन पर रोज बात होती थी। कोविड काल में अस्पताल के अपने अनुभव वह उनसे साझा करती थी।

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