आखिर क्यों नहीं मिली शिवसेना को कांग्रेस के समर्थन की चिट्ठी! एक फोन कॉल से कैसे….

मुंबई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार शाम को दिल्ली स्थित अपने निवास पर पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में उन्होंने सभी नेताओं से बात करने के बाद अपनी राय बताई. सोनिया गांधी इसके बाद आगे की रणनीति के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार से फोन पर बात की. कहा जा रहा है कि शरद पवार ने फोन पर सोनिया गांधी से जा बात कही, उसे सुनकर वह चौंक गईं. सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार ने फोन पर कहा कि सरकार बनाने को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की तरफ से सरकार बनाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है.

सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी ने शाम करीब 6 बजे शरद पवार को फोन किया था. दोनों के बीच लगभग 15 मिनट तक बातचीत हुई. इस दौरान शरद पवार ने जो कुछ भी सोनिया गांधी को कहा उसे सुनकर वह हैरान रह गईं. शरद पवार ने सोनिया गांधी से कहा कि वह शिवसेना से फिर बात करेंगे. साथ ही उन्होंने आगे की बातचीत के लिए कांग्रेस के नेताओं को आज (12 नवंबर 2019) मुंबई भेजने को कहा.

ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी
दरअसल, सोनिया गांधी को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि बैठक में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से सोनिया की शिवसेना-एनसीपी के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने पर चर्चा हो चुकी थी. इसके बाद सोनिया गांधी ने शरद पवार को पार्टी की राय से अवगत कराने के लिए फोन किया था. शरद पवार से बातचीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष फिर से उसी कमरे में पहुंच गईं जहां महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक चल रही थी. उन्‍होंने सभी को शरद पवार से हुई बातचीत के बारे में बताया. इसके बाद कांग्रेस ने तय किया कि एनसीपी से बातचीत के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा.

‘सरकार बनाने में कोई आपत्ति नहीं’
गौर करनेवाली बात है कि महाराष्ट्र से जुड़े कांग्रेस नेताओं को अभी भी शिवसेना-एनसीपी के साथ सरकार बनाने में कोई आपत्ति नहीं है. शरद पवार के रुख से महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता भी हैरान थे. यह तब हुआ था जब मुंबई में शरद पवार और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हो चुकी थी. दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे ने भी सोनिया गांधी से बातचीत कर ली थी.

एंटनी-खड़गे नहीं चाहते शिवसेना के साथ वाली सरकार
शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनाने के पक्ष में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हैं और सोनिया गांधी को भी इससे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन, शिवसेना को समर्थन देने के नाम पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं और दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के मत बंटे हुए हैं. उधर, दूसरी तरफ केरल से जुड़े कांग्रेस के नेता केसी वेणुगोपाल और एके एंटनी को शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर आपत्ति है. इसके अलावा खड़गे भी नहीं चाहते हैं कि शिवसेना के साथ सरकार बने. इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बावजूद कांग्रेस को महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर दिक्कत नहीं है.

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