29 सितंबर से नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना, शुभ मुहूर्त!

नई दिल्ली। नवरात्रि हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं जिसे दुर्गा पूजा (Durga Puja) के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन और पूजन से विशेष फल मिलता है. इस समय मंदिर जाकर देवी मां के दर्शन करने से जीवन में सफलता मिलती है. सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस मौके पर कई लोग घर में कलश स्थापित करते हैं और व्रत रखते हैं. भारतीय
शास्त्रों में नवरात्रि में निर्वहन की जाने वाली परंपराओं का बड़ा महत्व बताया गया है. इन नौ दिनों में कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिन्हें हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें सिखाया है. हर कोई चाहता है कि देवी की पूजा पूरी श्रद्धा-भक्ति से हो ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे.

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

29 सितंबर 2019- नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.
30 सितंबर 2019- नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन.
01 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.

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02 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन.
03 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन.
04 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन.
05 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन.
06 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन.
07 अक्‍टूबर 2019: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, हवन, नवरात्रि पारण
08 अक्‍टूबर 2019: विजयदशमी या दशहरा

नवरात्रि व्रत के नियम

अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं तो इन नियमों का पालन जरूर करें.

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा-अर्चना करें.
दिन के समय आप फल और दूध का सेवन करें.
शाम के समय मां की आरती उतारें.
सभी लोगों में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
इसके बाद रात में व्रत स्पेशल भोजन ग्रहण करें.
हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार करें.
अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

कलश स्‍थापना

नवरात्रि में कलश स्‍थापना का अपना विशेष महत्‍व है. कलश स्‍थापना को घट स्‍थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत कलश स्‍थापना के साथ ही होती है. कलश स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्‍यता है कि गलत समय में कलश स्‍थापना करने से देवी मां क्रोधित हो जाती हैं. रात के समय और अमावस्‍या के दिन घट स्‍थापित करने की मनाही है. घट स्‍थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्‍थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्‍थापित किया जा सकता है. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. यह करीब 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार घट स्‍थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्‍ध नहीं है.

कलश स्‍थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्‍थापना की तिथि: 29 सितंबर 2019
कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त: 29 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक.
कुल अवधि: 1 घंटा 24 मिनट.

कलश स्‍थापना की सामग्री

मां दुर्गा को लाल रंग बहुत पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्‍के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

कलश स्‍थापना कैसे करें?

नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा को सुबह सबसे पहले स्‍नान करें. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योत जलाएं. कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के कलश पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं. कलश के ऊपरी हिस्‍से में मौली बांधें. अब इस कलश में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्‍थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं.

नवरात्रि के 9 दिनों में देवी मां के इन रूपों की करें पूजा-

शैलपुत्री- 29 सितंबर
ब्रह्मचारिणी- 30 सितंबर
चन्द्रघंटा- 1 अक्टूबर
कूष्माण्डा- 2 अक्टूबर
स्कंदमाता- 3 अक्टूबर
कात्यायनी- 4 अक्टूबर
कालरात्रि- 5 अक्टूबर
महागौरी- 6 अक्टूबर
सिद्धिदात्री- 7 अक्टूबर

(8 अक्टबूर को दशहरा मनाया जाएगा)

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