अब एनजीटी यमुना की करेगी समीक्षा

एनजीटी ने दिल्ली सरकारसे पूछा, यमुना की सफाई के लिए निश्चित समय-सीमा बताएं
नई दिल्ली। यमुना की सफाई के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अख्तियार किया है। एनजीटी ने साफ कहा है कि यमुना साफ करने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय करें। बार-बार समयसीमा टालते हुए आदेश का पालन नहीं किया गया है। 30 साल बाद भी यमुना में प्रदू्षण है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने साफ किया कि यह समयावधि आखिरी होगी। एनजीटी ने सख्त लहजे में कहा कि अधिकरण नई समयसीमा तय करेगा। इसका उल्लंघन करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यमुना का साफ होना बेहद जरूरी है। एनजीटी ने सभी प्राधिकरणों को उसके आदेशों के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।
साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से भी कहा है कि वह ऐसे मामलों की जानकारी रखें, जहां समयसीमा समाप्त हो गई है। गौरतलब है कि एनजीटी ने पहले ही कहा था कि प्राधिकरणों की नाकामी के चलते यमुना साफ नहीं हो पा रही है, लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो रहा है।
हरियाणा के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा था कि यमुना के जल पर अध्ययन कराए कि किन जगहों पर उसमें गंदगी छोड़ी जा रही है। पैनल ने इसे भी ध्यान में रखा था कि लगभग 67 प्रतिशत गंदगी दिल्ली गेट और नजफगढ़ के प्लांट में साफ की जा रही है।

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