बठिंडा में एक ऐसा गांव, किसी ने भी नशा बेचा तो तोड़ देंगे टांगें!

मनोज ठाकुर, बठिंडा। एक कोशिश है- नशे पर रोक लगाने की। अपनी युवा पीढ़ी को नशे के कहर से बचाने की। कोशिश है- सिस्टम को जगाने की। खुद पहल की। निर्णय लिया। अब गांव में नशा नहीं बिकने देंगे। नशा बेचते जो भी पकड़ा गया, टांगें तोड़ देंगे। पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल के गांव से सटे बठिंडा जिले के आखिरी गांव कालझरानी की पंचायत ने नशा तस्करों पर रोक लगाने के लिए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है।

गांव की महिला सरपंच कमल कौर के पति दतिंदर सिंह ने बताया कि यह निर्णय पूरे गांव ने सर्वसम्मति से लिया है। इस तरह का कठोर कदम उठाने के सिवाय उनके सामने अब कोई चारा ही नहीं रह गया था। इसलिए मजबूर होकर उन्होंने यह निर्णय लिया है। सरपंच के पति ने बताया कि गांव के कई घर नशे की वजह से बर्बाद हो गए हैं। उनके अभिभावकों की भूखा मरने की नौबत आ गई है।

राजनैतिक पार्टियां नशे पर राजनीति तो खूब कर रही हैं। लेकिन यह खत्म कैसे हो? इस दिशा में कुछ नहीं हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू नशा खत्म करने की बात करते हैं। नशा माफिया को जेल में डालने की बात करते हैं, लेकिन अब तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। क्यों नहीं अभी तक इस दिशा में कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि नेताओं को राजनीति छोड़ कर पंजाब से नशों से बचाने की दिशा में काम करना चाहिए।

ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार पुलिस को शिकायते देने के बावजूद नशा तस्करों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। गांव में नशा तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से अब पंचायत ने खुद ही चिट्टा बेचने वालों पर नकेल कसने का निर्णय लिया है। पंचायत के फैसले अनुसार, अब अगर गांव में कोई ड्रग डीलर पकड़ा गया तो गांव के लोग उसकी टांगें तोड़ देंगे। ग्रामीणों ने बताया कि इसके सिवाय अब उनके सामने कोई चारा ही नहीं रहा है। वह कैसे गांव में नशा बेचने पर रोक लगा सकते हैं, इसलिए उन्होंने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया है।

यह भी निर्णय लिया कि जो भी व्यक्ति नशा छोड़ना चाहता है, उसकी हरसंभव मदद की जाएगी। उसके इलाज का सारा खर्च पंचायत उठाएगी। क्योंकि नशा छोड़ने वाले व्यक्ति के इलाज पर भी भारी खर्च आता है। गरीब परिवार इस खर्च को वहन नहीं कर सकते। इसलिए पंचायत ने सर्वसम्मति से यह खर्च उठाने का भी निर्णय लिया है।

सरपंच पति ने बताया कि गांव में 7-8 परिवार सरेआम नशा बेचते हैं। कई बार उनसे आग्रह किया कि वह इस काम को छोड़ दें। लेकिन वह मान ही नहीं रहे हैं। वह युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं। नौजवान उनके चंगुल में फंस कर अपना पैसा और सेहत बर्बाद कर रहे हैं। नशे के लिए पैसा न मिलने पर चोरी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। गांव का माहौल खराब हो चुका है।

इधर जब पंचायत ने अपने निर्णय की जानकारी मीडिया को दी तो पुलिस का दस्ता भी गांव में पहुंचा। पुलिस ने दावा किया कि नशा बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने पंचायत से भी आग्रह किया कि वह नशा बेचने वालो के नाम पुलिस को बताए। उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। डीएसपी गुरदीप सिंह ने कहा कि नशा तस्करों के खिलाफ हमेशा पुलिस सख्त रही है।

डीएसपी ने कहा कि पुलिस की नशा तस्करों से मिलीभगत जैसे आरोप ना लगाएं। यदि उनके पास पुख्ता सुबूत हैं तो दें। यदि किसी व्यक्ति को किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी पर शक है तो वह उसका नाम उजागर करें और तुरंत कार्रवाई होगी। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं करती है। यदि करती है तो इतनी हल्की धाराएं लगाई जाती हैं कि नशा तस्कर कुछ दिन बाद ही जेल से जमानत पर आ जाते हैं। आते ही फिर से नशे का काला धंधा शुरू कर देते हैंं।

नशा तस्करों के खिलाफ पुलिस सही कार्रवाई नहीं करती, जिस कारण नशा तस्कर चंद दिनों में ही गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर आ कर फिर अपना कारोबार शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि नशा तस्करों के खिलाफ सख्त धाराओं में कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे जमानत भी ना मिले।

ग्रामीणों ने मांग की कि पुलिस गांव में आने वाले रास्तों पर चैकिंग करें। गांव में नियमित गश्त के साथ साथ पहरा दिया जाए। जिससे नशा तस्करों के मन में भय का माहौल बने। नशा तस्करे गांव में सरेआम यह काला कारोबार चला रहे हैं। उन्हें किसी का डर तक नहीं है। इसलिए अब गांव के लोगों को ही सख्त फ़ैसला लेना पड़ा।

एसएसपी अवनीत कोंडल ने कहा कि नशे को रोकना पुलिस की प्राथमिकता है, जिसको पूरी जिम्मेदारी से निभाया जा रहा है। नशा तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। गांव कालझरानी का मामला चिंताजनक है। इस पर भी पुलिस पूरी चौकसी से काम करेगी। गांव वासियों की शिकायत पर नशा तस्करों के खिलाफ सख़्त कदम उठाए जाएंगे।

 

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