पाकिस्तान: टीलीपी की खूनी पॉलीटिक्स, भारत का इससे क्या लेना—देना, क्यों बौखला रहे इमरान

इस्लामबाद। प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने इमरान खान सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पैगम्बर की बेअदबी के मामले में फ्रांस के एम्बेसडर को देश से बाहर निकालने सहित 4 मांगों को लेकर TLP ने राजधानी इस्लामाबाद से कुछ किमी दूर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसमें 4 पुलिसकर्मी मारे गए हैं। वहीं, सैकड़ों घायल हैं। TLP को रोकन में नाकाम प्रधानमंत्री इमरान खान अब इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 27 अक्टूबर को इमरान खान ने संघीय कैबिनेट) की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी। इसमें सरकार ने बौखलाहट में आरोप लगाया कि TLP को भारत के कुछ संगठन फंड कर रहे हैं। पढ़िए पूरी कहानी…

Pakistan political crisis, Imran Khan government in tension after TLP violent protest

TLP के आगे झुकते हुए सरकार ने उसकी तीन मांगें मान ली थीं, लेकिन फ्रांस के राजदूत को बाहर निकालने के मुद्दे पर इमरान खान पीछे हट गए। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इसके बाद TLP इस्लामाबाद से कुछ दूर प्रदर्शन कर रही है। TLP के बढ़ते दवाब के बाद इमरान खान सख्ती के मूड में आ गए हैं। संघीय कैबिनेट की मीटिंग में सरकार ने निर्णय लिया कि TLP को अब कोई धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि एक आतंकवादी संगठन के तौर पर जाना जाएगा। उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

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पाकिस्तान सरकार ने TLP की ताकत के पीछे भारत का हाथ बताया। कहा कि उसे भारत के कुछ संगठन फंड कर रहे हैं। इसमें सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तान को बदनाम किया जा रहा है। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी।

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पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने तो यहां तक कह दिया कि TLP के प्रदर्शनकारियों ने गुजरांवाला में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कलाश्निकोव और एके 47 का इस्तेमाल किया। वहीं पंजाब पुलिस प्रमुख का कहना है कि झड़पों में 4 पुलिसकर्मी मारे गए हैं। इसके अलावा 263 घायल हुए हैं।

प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में बुधवार को संघीय कैबिनेट एक बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि प्रांत में कानून व्यवस्था बनाए रखने 2 माह तक रेंजर तैनात किए जाएंगे। सरकार ने TLP को हर तरह से कुचलने का फैसला किया है। यानी अब आंदोलनकारियों पर सख्ती के लिए पुलिस के साथ सेना और रेंजर भी सड़क पर उतारे जा रहे हैं। सरकार ने दो टूक कहा कि TLP एक आतंकवादी संगठन के तौर पर ही माना जाएगा।

बता दें कि TLP की स्थापना 2015 में खादिम हुसैन रिजवी ने की थी। खादिम की पिछले साल अक्टूबर में मौत हो गई थी। अब उनका बेटा साद रिजवी इसकी कमान संभालता है। हालांकि यह पिछले 6 महीने से जेल में बंद है। हालांकि पहले सरकार उसे रिहा करने को तैयार थी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है। TLP के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए इस्लामाबाद में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। प्रदर्शनकारियों को रोकने सड़कों पर कंटेनर्स खड़े करना पड़े हैं। कई जगहों पर गड्ढे तक खोदे गए हैं।

TLP अफगानिस्तान की तर्ज पर पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने के पक्ष में है। इसके पाकिस्तान में लाखों समर्थक है। इस्लामाबाद में 20 हजार से अधिक प्रदर्शनकारी इस समय मौजूद हैं। प्रदर्शनकारी अब इस्लामाबाद से कुछ किमी दूर हैं। TLP इमरान खान को भी कुर्सी से हटाना चाहती है। कहा जा रहा है कि TLP को सेना का भी पीछे से समर्थन है।

 

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