ठंड में प्रदूषण ने बढ़ा दी फेफड़ों की समस्या, सामान्य लोगों का भी फूल रहा दम

Health

प्रदेश में शीत लहर चलते केई शहरों में प्रदूषण बढ़ने के लोगों की सांस फूल रही है। सामान्य लोग जिन्हें कोई संक्रमण नहीं है। वे भी जब खुले माहौल में आते हैं, तो फेफड़ों की धौंकनी चलने लगती है। ऐसे में सामान्य से अधिक बार सांस लेनी पड़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे व्यक्ति सामान्य तौर पर एक मिनट में 18 से 20 बार सांस लेता है, लेकिन प्रदूषण के कारण 25 से 30 बार सांस लेनी पड़ रही है। इसके साथ ही फेफड़ों की क्षमता 10 से 15 फीसदी कम हो गई है। ऐसा ठंड में फेफड़ों की नलिकाओं के सिकुड़ने से हो रहा है।
नलिकाएं सिकुड़ने से एक सांस में फेफड़ों को जरूरतभर हवा नहीं मिल पा रही है। ठंड में सांस फूलने की शिकायत लेकर लोग वक्ष रोग विशेषज्ञों के यहां पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें बाहर निकलने पर सांस लेना भारी पड़ रहा है। जब लोगों की जांच की जा रही है, तो उनके फेफड़ों की क्षमता कम निकल रही है।
10 से 15 फीसदी कम हुई फेफड़ों की क्षमता
नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन के साइंटिफिक चेयरपर्सन डॉ. एसके कटियार ने बताया कि प्रदूषण के कारण फेफड़ों में हवा कम जा रही है। लोगों को कोई बीमारी नहीं होती है, लेकिन फेफड़ों की क्षमता 10 से 15 फीसदी कम हो जाती है।
प्रदूषित तत्वों के अलावा ठंडी हवा अंदर जाने से फेफड़ों की नलियां भी 10 से 15 फीसदी तक सिकुड़ जा रही हैं। इससे एयर फ्लो कम हो जाता है। ठंड में हवा में पर्याप्त ऑक्सीजन होने के बावजूद लोगों को सांस में दिक्कत रहती है।
सांस तंत्र में कोल्ड एलर्जी
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में सांस तंत्र में कोल्ड एलर्जी भी हो जाती है। इससे भी हवा का प्रवाह प्रभावित होता है। डॉ. कटियार ने बताया कि एक अध्ययन में कनपुरियों के फेफड़ों की क्षमता सामान्य से कम मिली थी। इससे हर आयु वर्ग के व्यक्ति को समस्या हो रही है।
सीनियर चेस्ट फिजीशियन डॉ. राजीव कक्कड़ ने बताया कि ठंड के माहौल में प्रदूषण के कारण गैर संक्रामक फेफड़े की बीमारी हो जाती है। ठंड की वजह से फेफड़ों की स्थानीय व्यवस्था बिगड़ जाती है। इससे भी सामान्य व्यक्ति को भी सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
ये हैं खास तथ्य
फेफड़ों में एक सांस में 350 से 500 एमएल हवा जानी चाहिए।
एक बार सांस लेने में हवा को फैलाएं तो इसका दायरा टेनिस कोर्ट के बराबर होता है।
नाक से फेफड़े तक हवा के जाते-जाते इसका तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है।
अगर तापमान शरीर के बराबर न हुआ तो नलिकाओं में सिकुड़न आ जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान
ठंड और धुंध में बिना जरूरत बाहर न निकलें।
बाहर मास्क लगाकर बाहर निकलें।
गर्म कपड़े पहने रहें।
घर के अंदर योग प्राणायाम करें।
गरिष्ठ भोजन न करें, सादा और पौष्टिक भोजन लें ।

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