टीसी के लिये प्रधानाचार्य ने मजदूर को बना दिया घनचक्कर

संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा । पद का नशा कितना गहरा होता है कि लोग आम आदमी के छोटे-छोटे कार्यों को करने के लिये भी अनावश्यक चक्कर कटवाकर जी हजूरी करवाना अपनी शान समझते हैं । आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के ऐसे अनैतिक व्यवहार की खबरें आती हैं लेकिन जब जिम्मेदार पद पर बैठा एक शिक्षक भी ऐसा करे तो सामाजिक चिंता बनती है ।

बच्चों को व्यवहार और नैतिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने वाले मास्साब जब प्रधानाचार्य बनकर पद की गर्मी झेल नहीं पाते तो इसका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ता है । इसकी बानगी इस घटना में देखिये जिसमें एक व्यक्ति को अपनी 12 वीं पास की टी.सी. की प्रतिलिपि लेने के लिये एक माह तक घनचक्कर बनकर मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा ।

जानकारी के अनुसार शास्त्रीनगर निवासी राजेश कुमार एक दैनिक मजदूर हैं लेकिन कोई स्थाई रोजगार नहीं हैं । उनके भाई राकेश यादव ने उन्हें श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने की सलाह दी । आधार कार्ड न होने के चलते राजेश ऐसा नहीं कर पाया । उनके शैक्षिक दस्तावेज भी कहीं गुम हो चुके हैं । आधार कार्ड सेन्टर पर उनसे अन्तिम विद्यालय की टीसी पत्र की मांग की गयी । राजेश ने वर्ष 1988 में कोतवाली रोड स्थित चम्पा अग्रवाल इंटर कॉलेज से बारहवीं की कक्षा पास की थी । राकेश यादव ने बताया कि अभिभावक के रूप में वे अपने भाई की टीसी लेने के लिये प्रार्थना पत्र के साथ विद्यालय के प्रधानाचार्य से मिले । उन्होने प्रार्थी के शैक्षिक या अन्य पहचान पत्र की मांंग की लेकिन वह गुम होने के चलते उपलब्ध नहीं कर पाये । प्रधानाचार्य ने टीसी देने से इंकार कर दिया । इस पर राजेश द्वारा टीसी निर्गत कराने के लिये पहचान के लिये नोटरी युक्त शपथ पत्र देने या अन्य कोई भी औपचारिकता पूर्ण करने निवेदन किया गया । लेकिन प्रधानाचार्य ने कोई भी सहयोग करने से मना कर दिया ।

इस पर राजेश ने 30 जनवरी को जिला विद्यालय निरीक्षक के यहां टीसी दिलाने के लिये प्रार्थना पत्र दिया । उन्होंने चम्पा अग्रवाल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य को नियमानुसार शपथ पत्र के आधार पर टीसी देने का आदेश जारी किया । लेकिन प्रधानाचार्य ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। प्रार्थी पर अभद्रता का आरोप लगाते हुये विद्यालय लिपिक को टीसी के लिये टहलाते रहने का मौखिक आदेश दिया । विद्यालय द्वारा उन्हें तथा उनके भाई राजेश को एक माह से अधिक समय तक टीसी के लिये बार-बार तारीख देकर परेशान किया गया । अन्त में पहचान के लिये स्थानीय पार्षद से पत्र लिखवाकर मंगवाया गया । उसे भी झूठा बताते हुये सभासद को फोन करके तस्दीक की । तब जाकर 5 मार्च को टीसी प्रदान की गयी ।

राजेश ने बताया कि इस दौरान कई दिन उसे अपनी मजदूरी छोड़नी पड़ी वहीं उन्हें तथा उनके भाई को बेहद मानसिक पीड़ा सहनी पड़ी है। उत्पन्न डिप्रेशन दूर करने के लिये वह डॉक्टर से दवायें ले रहे हैं ।

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