प्रियंका गांधी की पीएम मोदी को चिट्ठी, गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करें, मंच पर क्यों बैठाते हैं?

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद से विपक्ष इसे राजनीतिक हथकंडा बताने में जुटा है। कांग्रेस की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने खुलकर प्रधानमंत्री मोदी को आड़े हाथों लिया है। प्रियंका ने पीएम मोदी को भेजा गया एक पत्र सार्वजनिक किया है। प्रियंका का कहना है कि नरेंद्र मोदी अगर देश के किसानों के प्रति आपकी नीयत सचमुच साफ है तो आज अपने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के साथ मंच पर विराजमान मत होईये, उनको बर्खास्त कीजिए।’ प्रियंका ने भी दावा किया है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अमित शाहऔर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखीमपुर हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के साथ मंच साझा कर रहे हैं। आप भी अगर ऐसा करते हैं तो ये मान लिया जाएगा कि कातिलों को संरक्षण देने वालों के साथ खड़े हैं। ये किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले 700 से ज्यादा किसानों का घोर अपमान होगा।

इससे पहले प्रियंका ने शनिवार सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस तरह तीन काले कानून वापस लेकर आपने किसान का दर्द समझने का दावा किया है, वो अगर ये सच है तो अब लखीमपुर में शहीद किसानों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कीजिए। प्रियंका ने कहा- ‘लखीमपुर खीरी में किसानों के कुचलने का आरोप गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर लगा है, लेकिन बीजेपी सरकार आरोपी को बचाने की कोशिश में जुटी है। अगर आप (पीएम मोदी) आरोपियों के साथ मंच साझा करते हैं तो सीधा संदेश जाएगा कि आप किसानों को कुचलने वाले लोगों को संरक्षण दे रहे हैं।’ उन्होंने कहा- ‘यह 700 से ज्यादा शहीद किसानों का अपमान होगा।’

प्रियंका ने आगे कहा- अगर किसानों के प्रति आपकी नीयत साफ है तो आज लखनऊ में पुलिस महानिदेशक सम्मेलन में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ विराजमान मत होना। हम मांग करते हैं कि पीड़ित परिवारों को न्याय देने के लिए आप गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करें। सरकार सभी किसानों के खिलाफ चल रहे मुकदमे वापस ले और पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद दे। प्रियंका का कहना था कि लखीमपुर में किसानों के साथ अत्याचार हुआ इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है। वहीं सरकार ने किसानों की आवाज दबाने की कोशिश की है। अभी तक सरकार लखीमपुर के आरोपियों बचाने की कोशिश कर रही है।

 

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