34 साल बाद खुलेगा जगन्नाथ मंदिर का खजाना, सिर्फ लंगोट पहनकर अंदर जा सकेंगे अफसर

12वीं सदी में बने ओडिशा के मशहूर जगन्नाथ मंदिर का खजाना घर बुधवार (4 अप्रैल) को एक बार फिर से खोला जाएगा. इस खजाना घर का मुआयना करने के लिए 10 लोगों की टीम तहखाने में जाएगी. खजाने में किसी तरह की गड़बड़ी ना हो इसके लिए प्रशासन द्वारा तहखाने में जो टीम भेजी जाएगी, उसे सिर्फ लंगोट ही पहनकर जाएगी. तहखाने का मुआयना करने के साथ यह टीम उसकी दीवारें, छत और भौतिक स्थिति का सही तरीके से निरीक्षण करेगी|

सिर्फ भवन को देखने की होगी इजाजत
मंदिर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप जेना ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जिस वक्त खजाना घर खोला जाएगा, उस वक्त कोई भी दर्शानार्थी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेगा. उन्होंने बताया कि खजाना घर का नाम रत्न भंडार गृह है. जेना ने बताया कि टीम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दो विशेषज्ञ भी शामिल हैं, रत्न भंडार गृह का निरीक्षण करने वाली टीम को सिर्फ भवन को देखने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा कि टीम ना तो रत्न भंडार गृह का कोई संदूक खोल पाएगी और ना ही किसी सामान को हाथ लगा पाएगी|

आने और जाने के बाद होगी तलाशी
जेना ने बताया कि जो टीम रत्न भंडार गृह का निरीक्षण करने वाली है उन सभी की आते और जाते दोनों वक्त अच्छे से तलाशी ली जाएगी. उन्होंने कहा कि टीम के सभी सदस्यों को कोषागार में प्रवेश से पहले त्रिस्तरीय जांच से गुजरना होगा. इस दौरान सिर्फ ऑक्सीजन का सिलेंडर और टॉर्च लेकर ही अधिकारी अंदर जा पाएंगे.

सांप का किया गया सफाया
जेना के मुताबिक रत्न भंडार गृह में पहले भी कई बार सांप निकलें है, इसलिए किसी तरह की अनहोनी ना हो इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पहले ही सांप पकड़ने वालों को बुलवाया गया है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले साल 1984 में इस खजाने का निरीक्षण किया गया था. उस वक्त खजाने के सिर्फ तीन कक्ष ही खोले गए थे. बताया जाता है कि इस खजाने में देवों की कीमती आभूषण रखे हुए हैं|

26 मार्च को रत्न भंडार के बाहरी हिस्से का निरीक्षण किया गया था 
इससे पहले सोमवार(26 मार्च) को ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण( एएसआई) ने रत्न भंडार के बाहरी हिस्से की स्थिति का निरीक्षण किया था. यह श्री जगन्नाथ मंदिर के आभूषणों का भंडार गृह है. एएसआई के संयुक्त निदेशक हिमाद्री बिहारी होता ने कहा कि एएसआई की एक टीम ने 12 वीं सदी के मंदिर के रत्न भंडार के बाहरी हिस्से की स्थिति का निरीक्षण किया|

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