रिसर्च: वैज्ञानिकों ने खोजी कोरोना के बाद आने वाली महामारी, जानिए कैसे!

नई दिल्ली। दुनियाभर के लोग कोरोना वायरस से इतनी भयभीत है कि वैज्ञानिकों ने अगली महामारी कौन सी आएगी उसका भी पता लगा लिया है। साथ ही यह भी पता लगाया है कि ये महामारी अभी किस देश में पनप रही है और वह किस जीव से फैलेगी।

वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि कैसे अगली महामारी के संकट को टाला जा सकता है। इस बार महामारी ब्राजील के अमेजन जंगलों और वहां पर रहने वाले जीवों (चमगादड़, बंदर और चूहों) की प्रजातियों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकती है। आइए जानते हैं वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में क्या खोजा है?

ब्राजील के मानौस स्थित फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोनास के बायोलॉजिस्ट मार्सेलो गोर्डो और उनकी टीम को हाल ही में कूलर में तीन पाइड टैमेरिन बंदरों की सड़ी हुई लाश मिली थी। किसी ने इस कूलर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी जिसके बाद बंदरों के शव अंदर ही पड़े रहने से सड़ गए और उनमें से दुर्गन्ध आने लगी।

मार्सेलो और उनकी टीम ने जब बंदरों के मृत शव से सैंपल लेकर उसे फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक लेकर गए तो यहां पर उनकी मदद करने के लिए जीव विज्ञानी अलेसांड्रा नावा सामने आईं। उन्होंने बंदरों के इन सैंपल से पैरासिटिक वॉर्म्स, वायरस और अन्य संक्रामक एजेंट्स की खोज की।

जीव विज्ञानी अलेसांड्रा ने बताया कि जिस तरह से इंसान जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं, ऐसे में वहां रहने वाले जीवों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेन्स इंसानों पर हमला करके एक खतरनाक संक्रमण फैला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ठीक ऐसा ही हुआ चीन में हुआ था। वहां से जो वायरस निकले उनकी वजह से मिडल ईस्ट सिंड्रोम फैला। वहीं से SARS फैला, अब वहीं से कोरोना वायरस निकला, जिसके कारण आज दुनिया में दो साल से संकट मंडरा रहा है। लोगों की लगातार जान जा रही है।

ब्राजील के मानौस के चारों तरफ अमेजन के जंगल हैं। कई सौ किलोमीटर तक फैले मानौस में करीब 22 लाख लोग रहते हैं। दुनियाभर में मौजूद 1400 चमगादड़ों की प्रजातियों में से 12 फीसदी सिर्फ अमेजन के जंगल में रहते हैं।

इसके अलावा बंदरों और चूहों की कई ऐसी प्रजातियां भी यहां रहती हैं, जिन पर वायरस, पैथोजेन्स और बैक्टीरिया या पैरासाइट रहते हैं। ये कभी भी इंसानों में आकर कोरोना के जैसे ही बड़ी महामारी का रूप ले सकते हैं। इन सबके पीछे का कारण है शहरीकरण, सड़कें बनाना, डैम बनाना, खदान बनाना और जंगलों को काटना है।

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